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जैन आगम प्राणी कोश
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जाने वाला यह प्राणी सामान्य मृगों से कुछ कमजोर Millipede
होता है। सफेद शरीर होने के बावजूद भी धूप में आंखें खोल पाने में पूरी तरह समर्थ होता है। दौड़ते समय लम्बी कुलांचे भरता है। विमर्शः वाजसनेयि संहिता 24, 32 ऐतरेय ब्राह्मण
2-8 में इसका अर्थ बैल की एक जाति किया है। Centipede
गोरहग गोरथक] दस. 7/24 Calf-तीन वर्ष का छोटा बछड़ा।
देखें-गाय (गो) विवरण-इनकी रंग-बिरंगी अनेक जातियां पाई जाती गोलोम [गोलोमन्] प्रज्ञा. 1/49 निसि. 10/38 हैं। इनके पैरों की संख्या अधिकांशतः 100 से अधिक A kind of Leech-गोलोम, जौंक की एक जाति। होती हैं। ये अधिकतर अंधकार और सीलन की जगहों देखें-जलौक में रहते हैं।
गोह [गोध] सू. 2/2/58 भग. 8/222 प्रश्नव्या. गोरक्खर गौरखर] प्रज्ञा. 1/63
2/12 प्रज्ञा. 1/76 Wild Donkey, Wild Ass-जंगली गधा, गौर-खर, घोड़खर (गुज.)। आकार-घोड़े से छोटा परंतु पालतू गधे से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग सलेटी से गहरा भूरा तक होता है। कान काले सिरे वाले तथा नुकीली होते हैं। गहरे भूरे रंग की अयाल से बनी एक गहरी लकीर होती है जो इसकी पीठ से लेकर गच्छेदार पंछ तक पहंचती है। विवरण-कच्छ की खाड़ी के शुष्क खारे क्षेत्र में पाया
Lizard-गोह, विषखपरिया, चंदनगो। जाने वाला यह प्राणी तेज दौड़ने में दक्ष होता है। जबकि
आकार-नकुल से बड़े आकार वाला भुजपरिसर्प तिब्बत, लद्दाख और सिक्किम के जंगली गधे दौड़ने में
प्राणी। इतने दक्ष नहीं होते।
लक्षण-भारतीय गोह के शरीर का रंग हल्की काली जंगली गधों की कोशिकाओं में निर्जलीकरण, सहन
आड़ी धारियों से युक्त होता है। जबकि इंडोनेशिया के करने एवं जल का भंडारण करने की विशिष्ट क्षमता
गोह के शरीर का रंग गहरा जैतूनी होता है। खाल होती है।
खुरदरी, जीभ सांप की तरह लम्बी, चिकनी एवं दो भागों गोरमिग [गौरमृग] आ.चू. 5/15 निसि. 7/10, में विभक्त होती है। 17/12
विवरण-गोह की अनेक जातियां हैं, जिनमें कुछ पानी White Deer-गौरमृग, सफेद हिरण।
में भी तैर सकती है। प्राचीन काल में गोहों का उपयोग आकार-कृष्ण मृग की भांति।
लड़ाई के समय किलों की ऊंची दीवारों पर चढ़ने के लक्षण-शरीर का रंग सफेद और कुछ काला। सींग लिए किया जाता था। वर्तमान में भी डाकू, चोर आदि लम्बे एवं घुमावदार।।
इसका उपयोग करते हैं। इसके पैरों की पकड़ बहुत विवरण-सौराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश में पाया मजबूत होती है जिस पर चिपक जाती है, उससे छुटाना
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