Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 62
________________ 48 जलविच्छुय [जलवृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion of Water - जल का बिच्छु । आकार - सामान्य बिच्छु से छोटा । लक्षण - इसकी आगे की टांगें कुछ मोटी पंजे के समान होती है। विवरण- पानी में पाये जाने वाले इस बिच्छु की पूंछ एक नली के समान होती है जिसके द्वारा पानी में रहते हुए भी यह सांस लेता रहता है। यह पानी में पड़ी पत्तियों के समान प्रतीत होता है। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-बिच्छुत जलोउया [जलोतुक] प्रज्ञा. 1/49 A kind of Leech—जलोयुक (जलायुष्क), जौंक की एक जाति । देखें - जलोय (जौंक) जलोय-जलूग [ जलौक] उत्त. 36/129 भ. 13/ 153 अणु. 3/46 प्रज्ञा. 1/49 Leech - जौंक आकार - केंचुए की जाति के प्राणी, जो आकार में केंचुए से छोटे एवं मोटे होते हैं । लक्षण – सामान्य तौर पर देखने से शरीर में कई छल्ले नजर आते हैं। विवरण- अधिकांशतः पानी में रहते हैं। शरीर के एक सिरे पर खून चूसने के लिए मुख होता है। मछलियों व अन्य कीटों पर चिपक कर उनका खून चूसते हैं । समुद्रों, नदियों, झीलों आदि में इनकी पचासों प्रजातियां पाई जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, Incyclopedia in colour, जानवरों की दुनिया] जलोय [जलौक] प्रज्ञा. 1/78, 49भग. 13/153 उत्त. 36/129 Alpine Swift- बड़ी बतासी, जलौक Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश आकार - बुलबुल से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग ऊपर से गहरा भूरा, नीचे से सफेद । वक्ष के आर-पार एक गहरी भूरी पट्टी तथा दुम छोटी एवं चौकोर । पंख बहुत लम्बे, नोकीले तथा धनुष जैसे होते हैं। विवरण - विश्व भर में इसकी 4 प्रजातियां पाई जाती हैं। काफी तेज तथा काफी देर तक उड़ने वाला यह चर्म पक्षी 130 से 150 K.M. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। टीलों तथा गुफाओं के बाहर की ओर निकली चट्टानों की दरारों में लार द्वारा चिपकाए पंख, तिनकों आदि की गिद्दी सी बनाकर मादा अंडे देती है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 166] जालग [जालक] उत्त. 36/129 A kind of Worm – जालक, कीट की एक जाति । देखें - कृमि । जालग [जालक] प्रश्नव्या. 1/18 उत्त. 36/129 Spider- मकड़ी देखें-उक्कल जाहक [जाहक] सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/8 Hedgehog-जाहक, झाऊ चूहा, कांटों वाला चूहा। आकार-सेही से काफी छोटा । लक्षण - सेही की भांति शरीर पर काले सफेद रंग के कांटे होते हैं। कांटों के नीचे मोटे-मोटे बाल होते हैं । घ्राणेन्द्रिय तीव्र और दृष्टि निर्बल होती है । विवरण - भारत (नील गीरि पर्वत एवं पंजाब, राजस्थान आदि मैदानी भाग) यूरोप, चीन और एशिया में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनके शरीर की लम्बाई 8-9 इंच, टांगें छोटी, आंखें भी छोटी होती हैं। शरद ऋतु में अपने बिलों में सोते रहते हैं । चूहों को पकड़ने में यह बिल्ली से भी दक्ष होता है। सांप इसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। यह सांप को आसानी से खा जाता है। अपनी रक्षा के लिए Hedgehod गेंद की तरह गोल होकर, कांटों को खड़ा कर अपने कोमल अंगों को पेट के नीचे छिपा लेता है। भारत में इसे जाहक, झाऊ चूहा, कांटों वाला चूहा आदि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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