Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 60
________________ 46 1 के प्रत्येक चकते के आधार वाले भाग में एक काला धब्बा होता है। बच्चों के पूंछ का रंग लाल होता है। जैसे-जैसे अवस्था बढ़ती है वैसे-वैसे ललाई कम होती जाती है विवरण- इनकी विश्व में 600 प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें एक हैं- स्नेक स्किंक । वैज्ञानिक भाषा में इसे रिओपा पंकटाटा कहते हैं। यह एक निरापद एवं सरल स्वभाव का प्राणी है। इसे हाथ से पकड़ा जा सकता है। प्रश्नव्या. टीका में इसे कांटों वाला प्राणी माना है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Indian Reptiles, Nature] छीरविरालिया [ क्षीरविडालिका] भग. 7/66, 23/1 प्रज्ञा. 1/76 Skunki civet cat, Weasel-गंध विलाव, स्कंक । आकार - बिल्ली के तुल्य । लक्षण - मुखाकृति नकुल के समान एवं पूंछ लम्बी । शरीर का रंग काला-सफेद । विवरण - नई दुनिया और मध्य अमेरिका से सं.रा. अमेरिका तक पाया जाने वाला यह प्राणी अपने दुश्मन को धमकाने के लिए जमीन पर पैर पटकता है, फुफकारता है और दुम ऊपर उठा लेता है, यदि दुश्मन फिर भी नहीं डरता तो स्कंक तरल दुर्गन्ध की पिचकारी मारता है । चित्तिदार स्कंक या गंध बिलाव जो स्कंक में सबसे छोटा होता है, अपने दुश्मन को भगाने के लिए अगली टांगों से खड़ा होकर शरीर के पिछले हिस्से को उठा लेता है और आगे की ओर झुकी हुई सफेद दुम Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश को लहराता है। स्कंक की इस विचित्र मुद्रा को देखकर दुश्मन डर कर भाग जाता । विमर्शः कैयदेवनिघंटु, पृ. 452 में मार्जार के छह भेदों में एक भेद है - सुगंधित वृषण। बहुत संभव है, छीरविरालिया शब्द भी इसी का ही पर्यायवाची होना चाहिए । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- Nature; Incyclapedia in colour, विश्व के विचित्र जीव जंतु] छुद्दिका [छुद्दिका] अंवि पृ. 69 Moles, Shrewis-छछूंदरी 'आकार - चूहे के समान, किन्तु लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काले से लेकर सफेद तक । लम्बाई 2 इंच से 6-7 इंच तक । रोम विवरण - इनकी तारामुखी, रोमिपुच्छी, रेगिस्तानी आदि अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। छछंदर आमतौर से भूमि के अन्दर रहते हैं। दिन में चट्टानों की दरारों, शहतीरों और पत्तियों में छुपे रहते हैं और अंधेरा पड़ने पर शिकार की तलाश में निकलते हैं । यह अपने वजन के बराबर प्रतिदिन आहार करता है। मादा अपने वजन से 2-3 गुणा आहार करती है। कुछ छछंदरों के अगले पैर फावड़े का काम करते हैं। उनके तीखे पंजे भी खोदने के किसी औजार से कम नहीं होते। रात भर में छछूंदर सौ गज लम्बा बिल खोद सकता है 1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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