Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 38
________________ 24 जैन आगम प्राणी कोश किमिय [कृमिका] उत्त. 36/128 Worm-कृमि देखें-अरक हैं। अमरीकी वैज्ञानिकों के अनुसार चींटियां दीर्घ जीवी होती हैं। कीर [कीर] अंत 5/32 प्रश्नव्या. 3/13 Parakeet-तोता, सुगा, सुवटा, कीर, रक्ततुण्ड। कीड [कीट] उत्त. 36/146 Insect-कीट। आकार-लगभग .01 मि.मी. से 4-5 इंच तक लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग मनमोहक। बनावट आकर्षक तथा तीन भागों में विभक्त शरीर। विवरण-भारत के विविध प्रकार के कीटों की 50,000 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये सभी प्रकार के वातावरण में रहने के अत्यधिक अनुकूल होते हैं। कुछ कीट गर्म प्रदेशों और गर्म रेगिस्तानों में रह सकते हैं। कुछ कीट अत्यधिक सर्दी में रह सकते हैं और तीव्र विष भी सहन कर सकते हैं। कीडज [कीटज] अनु. 40.43 Silk-Wom, Silk-Cocoon-कृमिकोश, रेशम का कीड़ा। देखें-कोसिकार कीड़ा आकार–सामान्यतः 16 इंच से 1 फीट 7 इंच तक लम्बा । कीड़ी [कीड़ी] आवटीप-168 लक्षण-सामान्यतः पूंछ हरी-नीली और चोंच लाल Ant-चींटी। होती है। नर की गर्दन के चारों तरफ काली या गुलाबी आकार-लगभग 0.1 मिली मी. लम्बा। पट्टी होती है जिसे कंठी कहते हैं। लक्षण-सामूहिक जीवन व्यतीत करने वाली श्रमशील भारतीय तोता प्रायः 35 सेमी. लम्बा तथा गुलाबी कंठी प्राणी। वाला होता है जिसके शरीर पर आंख से नाक तक काली विवरण-चींटियों की विश्वभर में 8000 से अधिक धारी होती है। किस्में पाई जाती हैं। सभी चींटियां बस्तियां बनाकर विवरण-विश्व भर में इसकी 160 प्रजातियां पाई रहती हैं। विभिन्न स्थानों की चींटियों की शारीरिक जाती हैं। कबूतर के बाद पक्षियों में बुद्धिमानता की संरचना भी भिन्न-भिन्न होती है। अफ्रीका के जंगलों दृष्टि से इसका दूसरा स्थान है। यह विद्याप्रेमी, मेधावी में पाई जाने वाली चींटियों की पीठ पर कूबड़ होता है। और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होने के कारण मानव बोली की ये पेड़ों पर मिट्टी का घर बनाकर रहती हैं। यूरोप में हू-ब-हू नकल कर सकता है। सर्कस में तोतों के कई किसान व ग्वाले जाति की चींटियां पाई जाती हैं। आश्चर्यजनक करिश्मे दिखाए जाते हैं। किसान चींटियां पेड़ पौधे लगाती हैं। कई चींटियां गाएं यह अपनी छोटी, मजबूत एवं हुक के समान मुड़ी तीखी भी पालती हैं। ये गायें असल में पौधे पर पाई जाने चोंच से फलों पर आघात करता है। स्वामी भक्त एवं वाली एक तरह की जूं हैं। फौजी जाति की चींटियां विशुद्ध शाकाहारी होने के कारण पक्षियों में इसका बड़ी खूखार होती हैं, हाथी भी इनके रास्ते से हट जाते विशेष स्थान है। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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