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जैन आगम प्राणी कोश
से पाया जाता है। रंग-भेद के आधार पर इसकी अनेक प्रजातियां हैं। यह धुआं देख कर ही अनुमान लगा लेता है कि अमुक स्थान पर भोजन बन रहा है। तब वह तत्काल ही उस स्थान पर पहुंच जाता है। कौए का स्वर-कक्ष सात मांसपेशियों से नियन्त्रित होता है जबकि अन्य पक्षियों में तीन या इससे कम स्वर संबंधी मांस पेशियां होती हैं। अत्यन्त चालाक, शैतान होने पर भी कोयल के अंडों को अपना समझकर सार संभाल करता है। इसके घोंसले के आधार पर ज्योतिषी लोग भविष्यवाणियां करते हैं। मानव-बस्ती के आस-पास रहने वाले इस प्राणी की उम्र बहुत लम्बी होती है।
कामंजुग [कामयुग] प्रज्ञा. 1/79 Bronze Winged Jacana-पीपी, कुण्डई, कटोई (बिहार) पिहु, पिहूआ, कामयुग। ग्रा आकार-तीतर के समान। लक्षण-शरीर का रंग प्रायः भूरा और सफेद । शरीर के ऊपर वक्ष पर काला नैकलेस जैसा डिजाइन होता है। दुम नुकीली व नीचे झुकी हुई। इसके पैर की उंगलियां मकड़ी की भांति लम्बी होती है। नर-मादा दोनों देखने में लगभग एक जैसे लगते हैं।
कादंवग [कादंवक] प्रश्नव्या. 1/9 Barheaded gosse-कलहंस, वीरवा, कादंबक। आकार-पालतू राजहंस की भांति। लक्षण-शरीर का रंग धूसर-भूरा तथा सफेद होता है। सिर तथा ग्रीवा के पार्श्व सफेद और कंधरा के आर-पार दो विशिष्ट चौड़ी काली पट्टियां होती हैं। विवरण-केवल भारत में पाए जाने वाला यह पक्षी झीलों में ही रहना पसंद करता है। इसकी कुछ जातियां रात्रिचर एवं कुछ दिवाचर होती हैं। इनके दल v विवरण-जैकाना जैकेनिडी परिवार की एक आकृति या सीधे फीते की आकृति बनाते हुए आकाश जल-चिड़िया है। इसकी सात जातियां पाई जाती हैं में गमन करते हैं।
जैसे-वीजन पुच्छ जैकाना, कास्य पक्ष जैकाना आदि। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 108] . तालाबों में तैरता हुआ वनस्पति जैसे लिलि और सिंघाड़े
की पत्तियों और शाखाओं पर अपने मकड़ी जैसे लम्बे कामदुहाधेणु [कामदुधाधेनु] उत्त. 20/36
पैरों की सहायता से यह पक्षी आसानी से चलता है।
इसकी बोली टर्बान, टर्बान जैसी होती है। AFAbulous cowYieldingallDesires-कामधेनु गाय।
कारंडव [कारण्डक] ज्ञाता. 1/1/33 प्रश्नव्या. 1/9 विवरण- महाभारत-1/101 कालिकापुराण 91 औप, 6 जीवा. 3/275, जम्बू 2/12
आदि वैदिक ग्रन्थों में कामधेनु गाय का विस्तार से वर्णन Coot-बत्तख, अयरी, ठेकरी, खुशकुल, सरार, कारण्डक। प्राप्त होता है। वैदिक ग्रन्थों के अनुसार- दक्ष की बेटी, आकार-बत्तख के तुल्य। जिसका नाम सुरभि था। वह गायों की महाभाग माता लक्षण-शरीर का रंग स्लेटी-काला। हाथी दांत जैसी सर्वलोक की उपकारिणी थी। शरीर का रंग सफेद सफेद नुकीली चोंच तथा ललाट शिल्क रहित। बादलों के समान। चार पैर चार वेदों के प्रतीक तथा विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाए चार स्तन-धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष के प्रतीक जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों आदि के किनारे
या पानी में झुंड के साथ देखा जाता है। उड़ान भरने
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