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अंधोटी-अंशु अँधोटी-स्त्री० घोड़े या बैलकी आँखपर डालनेका पर्दा, | बादल; समुद्र घोंघा । -राज-पु० समुद्रः वरुण । -राशि अनवट ।
-पु० समुद्र । -रुह-पु० कमल | -वाह-पु० बादल । अँधौरी-स्त्री० दे० 'अम्हौरी'।
-शायी (यिन)-पु० विष्णु, नारायण ।। अँध्यार *-पु. अंधकार ।
अंबुजाक्ष-वि० [सं०] कमलके समान नेत्रोंवाला । पु० अंध्यारी *-स्त्री० अँधियारी, अंधकार ।
विष्णु । अंब *-पु० आम । स्त्री० दे० 'अंबा' ।
अंबुजासन-पु० [सं०] ब्रह्मा । अंबक-पु० [सं०] अखः पिता; ताँबा ।
अंबुजासना-स्त्री० [सं०] लक्ष्मी। अंबर-पु० [सं०] आकाशः वस्त्र; एक विशेष प्रकारकी | अंबुवा-पु० आम । साड़ी; केसर; एक सुगंधित वस्तु जो समुद्रके किनारे पायी | अंभापति-पु० [सं०] वरुण । जाती है और दवाके भी काम आती है; कपास, अभ्रक अंभासार-पु० [सं०] मोती। *बादल । -चर-पु० पक्षी; विद्याधर । -चारी | अंभ(स)-पु० [सं०] जल; आकाश; देवता; मनुष्य; (रिन)-पु० ग्रह । -डंबर-पु० सूर्यास्तकालमें पश्चिम शक्ति, तेज; जन्मकुंडली में लग्नसे चीथा स्थान; चारकी दिशामें दिखाई देनेवाली लाली। -पुष्प-पु० असंभव संख्या। बात ।-बेल-स्त्री० [हिं०] आकासबेल।-मणि-पु०सूर्य। अंभनिधि-पु० दे० 'अंभोनिधि' । अंबरांत-पु० [सं०] क्षितिज; वस्त्रका छोर ।
अंभाज-वि० [सं०] जलमें उत्पन्न । पु० कमल; शंख अंबराई-स्त्री०, अँबराव-पु० अमराई ।
चंद्र मा। -जन्मा (न्मन्),-योनि-पु० ब्रह्मा । अंबरीष-पु० [सं०] भाड़, दाना भूननेका मिट्टीका बरतन; | अंभोजिनी-स्त्री० [सं०] कमलिनी; कमलपुष्पोंका समूह; युद्ध; विष्णु; शिव; अनुपात; एक नरक; सूर्य; अमड़ा; वह स्थान जहाँ कमलोंकी बहुलता हो । छोटा जानवर, बछड़ा; अयोध्याका एक सूर्यवंशी राजा अंभोद, अंभोधर-पु० [सं०] बादल; मोथा। जो विष्णुभक्तिके लिए प्रसिद्ध था।
अंभोधि,-निधि-पु० [सं०] समुद्र । अंबल-पु० मादक पदार्थ; खट्टा रस ।।
अंभोराशि-पु० [सं०] समुद्र । अंबष्ट-पु० [सं०] एक प्राचीन जनपद (लाहौर और | अंभोरुह-पु० [सं०] कमल; सारस । उसके आस-पासका प्रदेश) और उसके निवासी; एक अँवरा, अँवला-पु० दे० 'आँवला'। जाति; कायस्थोंकी एक उपजाति महावत ।
अंश-पु० [सं०] भाग, हिस्सा; चौथा भाग:सोलहवाँ भाग: अंबा-स्त्री० [सं०] माता, अम्माः दुर्गा, गौरी; काशिराज वृत्तकी परिधिका ३६० वाँ भाग; भाज्य अंक; भिन्नकी इंद्रद्युम्नकी तीन कन्याओंमेंसे सबसे बड़ी जिसका भीष्मने लकीरके ऊपरका अंक; एक आदित्य; दिन; कंधा । अपने भाई विचित्रवीर्यसे विवाह करनेके लिए हरण किया -करण-पु० भाग लगाना, बँटवारा करना । -दानथा पाढ़ा लता । *पु० आम ।
पु० (कांट्रिब्यूशन) किसी कोष या सामान्य निधि आदिमें अंबापोली-स्त्री० अमावट, अमरस ।
अथवा देशकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक उन्नति आदिमें अंबार-पु० [फा०] ढेर, राशि। -खाना-पु गोदाम ।। अन्य लोगोंकी तरह अपना भी उचित अंश या भाग अंबारी-पु० दे० 'अम्मारी' ( हौदा)।
प्रदान करना; योगदान; वह रकम या सहायता जो इस अंबालिका-स्त्री० [सं०] माता; पाढ़ालता काशिराज इंद्र- प्रकार प्रदत्त की जाय, अवदान । -पत्र-पु० वह लेखधुम्नकी भीष्म द्वारा हरी गयी कन्याओंमेंसे सबसे छोटी जो । पत्र जिसमें हिस्सेदारोंका हिस्सा लिखा हो । -धरविचित्रवीर्यकी कनिष्ठा पत्नी और पांडुकी माता थी। पु० (शेयरहोल्डर) वह व्यक्ति जो किसी प्रमंडल या अंबिका-स्त्री० [सं०] माता दुर्गा, पार्वती; पाढ़ा लता; व्यापारिक संस्था आदिमें लगायी जानेवाली पूँजीके एक काशिराज इंद्रद्युम्न की भीष्म द्वारा हरी गयी मझली कन्या या एकाधिक हिस्सोंका स्वामी हो, हिस्सेदार ।-पूँजीजो विचित्रवीर्य की बड़ी रानी और धृतराष्ट्रकी माता थी। स्त्री० (स्टॉक) किसी संस्था या निगम आदिमें विभिन्न -पति-पु० शिव ।
व्यक्तियों द्वारा लगायी गयी पूंजीके हिस्से । -भाक,अंबिया-स्त्री० छोटा कच्चा आम जिसमें जाली न पड़ी हो, भागी (गिन्)-वि० हिस्सा पानेवाल।। -सुताटिकोरा।
स्त्री० यमुना नदी । -हर,-हारी (रिन) वि० हिस्सा अँबिरथा*-वि० वृथा।
पानेवाला। अंबु-पु० [सं०] जल; रक्तका जलीय तत्व; जन्मकंडलीमें अंशक-पु० [सं०] भाग, खंड; दिन; हिस्सेदार; दायाद। चौथा स्थान; चारकी संख्या। मगर । -क्रिया-स्त्री० | वि० हिस्सा पानेवाला। पितृतर्पण । -चर-चारी (रिन्)-वि० पानी में अंशत:-अ० [सं०] कुछ अंशमें, किसी हदतक । रहनेवाला (मत्स्य आदि जलचर)। -ज-वि० जलमें | अंशावतार-पु० [सं०] वह अवतार जिसमें ईश्वर या देवउत्पन्न । पु० कमल; चंद्रमा, शंख, बज्र; वेत; कपुर; विशेषकी परी कला अवतीर्ण न हुई हो।
-द-वि० जल देनेवाला । पु० बादल। अंशी (शिन)-वि० [सं०] हिस्सेदार; जिसके कई अंश -धर-पु० बादल । -धि-पु० समुद्र, चारकी संख्या। या अवयव हों, अवयवी; सामर्थ्यवान् । -नाथ-पु० समुद्र । -निधि-पु० समुद्र । -पति- अंशु-पु० [सं०] किरण, प्रभाः छोर, सिरा; वस्त्राभूषण । पु० समुद्र, वरुण । -भव-पु० कमल । -भृत्-पु० -धर-पति,-भर्ता(त),-स्वामी (मिन्)-पु० सूर्य ।
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