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जीतकल्पयत्रकम्
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॥ जीतकल्पयन्त्रमेतत् ॥ निर- कृतकरण स एवाकृ-कृतकरण स एवाकृ- गीतार्थः स एवाक- गीतार्था-स एवाक- अगीतार्थः स एवाकृ- अगीताथः स एवाकृत पेक्षः | आचार्यः तकरणः उपाध्यायः तकरणः स्थिरकत० तकरणः स्थिरकता तकरणः स्थिरकत० तकरणः आस्थरकृ. तकरणः . पाराजित. अनवस्था. अनवस्था. मूलम् मूलम् छेदः छेदःही दी कि विही . अनवस्था. मूलम् मूलम् छेदः छेदःनी
हिनी मूलम् मूलम् छेदः छेदः तीही
श्री श्री हि छेदः छेदःचीही ही रिहर ही ीि लि
.गुरु०.गुरु० ० लघु० किसी भी हिदि गुरु..गुरु लघु लघु. २५ श्री श्री
गुरु० • गुरु०, लघु लघु० २५-२५ गुरु० • गुरु० लघु लघु० २५ २५२०२० गुरुमा.
२५२० २०१५ लघुमा.
२०५१५ २५
लघु
२५
१५
गुरुत. २१
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