Book Title: Gurutattva Vinischaya
Author(s): Yashovijay Gani, Chaturvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 499
________________ गाथाद्यचरणम्. उद्धारणा विधारण | उप्पन्न कारणम्मी | उब्भामिआइ जायइ | उम्भाभिय पुवुत्ता | उम्मग्गदेसणाए २ १२९ २ १५९ २ २४३ CONCENGALOCCASSROO उल्लासः गाथा. गाथाद्यचरणम्. २ २७ उस्सुत्तमायरंतो ३ १४६ उस्सुत्ता जा दुविहा २ २३६ ऊणगसयभागेणं २ २४० १ ६० एएण अण्णठवणा २ १४४ एएण विआरेणं ४ २१ एएसिं पंचण्हं २ २६६ एएसु छलेसाणं ४ ११२ एएहिं दिहिवाए ४ ११७ एक्कासणपुरिमड्डा १ १२३ एगदुगपिंडियाण वि उल्लासः गाथा. गाथाद्यचरणम्. ३ ९९ एगागिस्स उ दोसा ३ ११३ एगोऽणुग्गहखित्ते ३ १२९ एगो साहू एगा एते उ कञकारी ३ १८१ एमाइ उत्तरुत्तर१ ७७, एमेव अहाछंदे ३ १२० एमेव देसिअम्मि वि ४ १०४ एमेव य तुल्लम्मि वि १ ५० एयगओ अ विसेसो १ १९८ एयमजुत्तं जम्हा २ १९८ एयाई अकुव्वतो २ २१६ एयं च एत्थ रूवं १ २४ एयं चरित्तसेटिं ormed medam ३ ४१ Pउ-ऊ-ए। २ २२७ २ ३२३ |उवगरणदेहचुक्खा उवणट्ठाइविगप्पा | उवसंतखीणमोहो उवसंपया य जहणं उस्सग्गओ अ एवं | उस्सप्पिणिआई खलु | उस्सुत्तमणुवइह ३ १३५| ३ १०० एगयरम्मि वि ठाणे For Private Personal Use Only

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