Book Title: Gurutattva Vinischaya
Author(s): Yashovijay Gani, Chaturvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 503
________________ X गाथाद्यचरणम्. उल्लासः गाथा. गाथाद्यचरणम्. उल्लासः गाथा. X X घरखित्तनयरगोउल- घुट्ठम्मि संघकजे उल्लासः गाथा. गाथाद्यचरणम्. चरमा दो पच्छित्ता १ ६२ चरमे समए चरमो२ ९४ चारित्तटुं गमणं चारे वेरजे या ४ ११८ चोअग छकायाणं २ ३०४ चोएइ वत्थपाया १ १९९ चोदेई वुच्छिन्ने २ २६३ *** घ-च-छ AMRACK-MARCCC ४ ३६ जइ अभिधारेंति तो ३ ३३ जइआणेणं चत्तं ३ १०८ जइ कोई मग्गन्नू १ ९१ जइ णाम सूइओ मि. २ २२३ जइ ते लिंगपमाणं २ ३३ जइ पुण समत्तकप्पो जइ लिंगमप्पमाणं २ ३०८ जइ वि पुहब्भावो सिं ३ ५४ जइ वि य पडिमासु जहा १ १४१ जइ से अस्थि सहाया १ १०० जणवय अद्ध णिरोहे . १ १८८ जत्तो चिय पासत्थे चइऊण पुलायत्तं चउगुरुआ चउलहुआ चउतिगदुगकल्लाणं चउदसपुव्वधरेणं चरणकरणप्पहीणे चरणट्ठा पुब्वगमो चरणस्स पक्खवाओ चरणे कोउअभूई चरमाउ तओ पढम * ४० छट्ठाओ णिव्विगइए छठाणविरहि पि हु १ ७८ छट्ठाणसमत्तीए ३ ८८ छेअस्स जाव दाणं १ १३९ छेओवट्ठावणिए २ २६० ******* JainEdication international For Private & Personal Use Only momw.jainelibrary.org

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