Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 15
________________ परम पूज्य श्री १०८ सन्मार्ग दिवाकर निमित्तज्ञान शिरोमरिण "खण्ड विद्या धुरन्धर" प्राचार्य विमल सागर जी महाराज का मंगलमय शुभाशीर्वाद मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि श्री दि० जैन कुथु विजय ग्रन्थमाला समिति जयपुर (राज.) १६वें पुष्प के रूप में श्री ' घण्टाकर्ण मंत्र कल्प:' ग्रन्थ का प्रकाशन कर रही है। यह मंत्र शास्त्र भव्य जीवों के लिए, संसार में भ्रमण करते हुए प्राधि-व्याधि रोगों के संकट से शांति प्राप्त कराने में तथा मिथ्यात्व से बचाने में कार्यकारी सिद्ध होगा। गणघराचार्य कुथु सागरजी महाराज ने कठिन परिश्रम करके जन कल्याण की भावना से इस ग्रंथ का संग्रह किया है, उनको हमारा पूर्ण आशीर्वाद है कि वे भविष्य में भी इस प्रकार के महत्वपूर्ण ग्रंथों का संग्रह करने का कार्य करते रहें। ग्रंथमाला समिति, बहुत ही लगन व परिश्रम से कार्य कर रही है। श्री शान्ति कुमार जी गंगवाल जो कि इस ग्रंथमाला के प्रकाशन संयोजक हैं, उनकी लगन एवं सेवायें अत्यन्त प्रशंसनीय हैं। ग्रंथमाला समिति इसी प्रकार प्रागे भी महत्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन कर जिनवाणी प्रचार-प्रसार का कार्य करती रहे, इसके लिए गंगवालजी 4 इस कार्य में संलग्न अन्य उनके सहयोगियों को हमारर बहुत-बहुत आशीर्वाद है। प्राचार्य विमल सागर

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