Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 88
________________ कि णमो अरिहताण महामन्त्रनवकार , णमो सिदाणं या णमो आयरियाणं रणनो उबकायाण AS SEKS HE H EE मोलोएसव्व साहण - - LAM न - HIआण ताण MBE/gनहीं जाणं. -:: .a ni. ::-:-ALM DET . -- ESE ANDH ANTOS 1 This TULATARich वहस्कमहानजैन मन्त्र है। इसके अक्षरों की ध्वनि में अपारशक्ति छपी हुई है। इसके उच्चारण सेसभीकार्य सिल्व होते हैं।यहबझठीदार मन्त्र है।लोककेसी / महान आत्माओं को इसमें नमस्कार किया गयाहीयह पञ्चनमस्कारमा सब पापों का नाश करनेवाला है, और सब मंगलों में महान मंगल है।इसको पठने से आनन्द मंगल होता है। क्योंकि इसके पढ़ते ही लोक के असंख्य महान आत्माओं | का स्मरण और आशीर्वाद प्राप्त हेता है।

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