Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
इसके पश्चात पार्श्वनाथ स्तोत्र आदि पढ़कर पार्श्वनाथ पूजा की जयमाला पढ़नी चाहिए। तदुपरान्त विसर्जन करें । घरणेन्द्र पद्मावती की षोडशोपचार विधि को करने से यह यन्त्र सिद्ध होता है ।
मुनि
भाषा अनुवाद की प्रशस्ति
श्री मूलसंघे सरस्वतीमच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यपरम्परायां श्री श्राचार्य आदिसागर तत्शिष्य समाधिसम्राट अध्यात्मयोगी तोर्थभक्त शिरोमणि सर्वसिद्धान्तपारज्ञ अष्टादशभाषाविज्ञ महान्तात्विज्ञ यंत्र तंत्र
कीर्ति तत्शिष्य गणधराचार्य कुन्थुसागरेण घण्टाकर्ण मंत्र कल्प वीर निर्वाण २५१६ तियो कार्तिक शुक्ला सप्तभ्यां सोमवासरे समाप्तं कृतवान् ।
शुभं भूयात् ।
शोध
शाकि न्याय प्रवीक्षा प्रहकृत सकलानि क्षणान् संक्षयन्ति । श्री मजेना गमेनं प्रकट मति प्रोक्तमेवं विवं च ॥
teche
Fin
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रः श्रसि श्राउसाय स्वाहा पः श्वीक्षीं । निलंस अनुकेस्स देवदत्तस्य ग्रहोच्चाटनं कुरू कुरू क्षयः स्वाहा ||
我
संस्थान (द
1
आह्वानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम् पूजा होमं न जानामि त्वं गति परमेश्वर ॥
उदयप
मंत्रज्ञ - प्राचार्य महावीर शास्त्रस्य हिन्दी टीका

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88