Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 45
________________ मौन सहित तीन दिन उपवास करें । १६००० घण्टाकर्ण मूलमंत्र का जाप्य करें । जाय सफेद चन्दन की माला से करें, उस समय सफेद ही वस्त्रादि हों । जल संधादि से यंत्र की पूजा करें। पूजा के बाद दशांश होम करें । सभी कार्यों के समय यंत्र अपने पास में रखें । ऐसा करने पर मनोवांछित कार्य की सिद्धि होती है । ( यंत्र चित्र नं० e देखें) घण्टाक मंत्र करुपः ठ ड अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ द ण त थ | द ४ टस हल क्षध ञ ष ४ / ८ २ ० न झ श ३ देव द जव ८ छल र च ङ घ को सिद्धि होती है। १ न | ०] फ ल य म भ बल ग ख क अः | 5 [ यंत्र भित्र नं० म ] अन्य विधि नं. ४ "ॐ ह्रीं श्रीं क्ली" घण्टाकर्णो नमोस्तुते ठः ठः स्वाहा " इस यंत्र का १,००००० (एक लक्ष्य ) जाप करें तो मनोवांछित सर्व कार्यों

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