Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ घण्टाकर मंत्र कल्प: 1 अं घंटाकर्णी महावीर देवदत्त . कं स्यसर्वोपद्रवक्षयं । कुरूकुरूस्वाहा न [ यंत्र चित्र नं. १४ ] बाद में गुगुल ढाई पाव, लाल चंदन, घृत, बिनोला (कपास के बीज तिल, राई, सरसों, दूध, दही, गुड़, लाल कनेर के फूल इन चीजों को मिलाकर सारी बारह हजार गोली बनाना, फिर एकेक करके एकेक मंत्र के साथ अग्नि में होम करें---इस प्रकार मंत्र का दशांश होम करें तब मंत्र सिद्ध होता है । नित्य देव पूजा करना, माला चंदन की होनी चाहिए । फल राजद्वार में जाते समय मंत्र को तीन बार पढ़कर मुख पर हाथ फेरें, राज । सभा वश में होती है। खाने की वस्तु को २१ बार मंत्रित करके जिसको खिलाएं, वह वश में होता है। - रात के पिछले पहर में गुगुल खेकर १०८ वार मंत्र पढ़कर, मुख पर हाथ फेरे तो वाद-विवाद में जीत हो, वचन ऊपर रहें याने उसकी बात को सब माने । पहले गगल की गोली से १०८ बार होम करना फिर रोगी को झाडा देना ___ तो भूत प्रेत सादिक दोष जाते रहते हैं । (यंत्र चित्र नं० १४ देखें)

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88