Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 82
________________ घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः हाथ में बांधिये तो बेलज्वरो एकान्तरो जाय । चित्रोलिखित डोरी की घंटामांहि बांधिये तो टोर रोग टलैं। ए यंत्र लिखो बार माखा बाधिये तो मकोडा जाय। पानी मंत्र पाजिये तो पेट पीड़ा जाय छुल जाय सर्वदोष नाशयति । घण्टाकर्ण त्रिकाल सुमरिये तो अधूरी प्रायु भो नमरै । त्रिकाल सुमरिये तो परवार माहै रोग न उपजै । घंटा त्रिकाल सुमरिये तो उपद्रवं टले । कन्याकुमारी का सूत्र मान बड़ो डोरो कीये मान गांठ बांधिये तो, २१ मंत्रिये गुगल के बीजे हाथे बांघिये तो बेला, ज्वर जाय ।। प्राचीन घण्टाकर्णकल्प की हस्तलिखित प्रति का अंश । . विधि मन्त्रः-यह मन्त्र १४५ अक्षर का जपं बार दस हजार गुग्गुल को धूप देय तो राज्य भयादि सर्व भय का नाश होय सर्वसिद्धि होय, भोजपत्र पास राखें अथ पंच दमी मंत्र विधि पट्टी, १ गाम को ६ अंगुल चौडी १७ अंगुल लम्बी रवि दिने करावनो पोछे शुभ दिने शुभ वार पट्टी माजनी भ्रबीरर रचना कलम अनार को अवर वस्त्र पहिर यंत्र लिखें मुख से पढ़ता जाये.. निरन्तर पढ़ें पहिले दिन पान फूल बताशा धूप करके ईशान मुख करके बैठे यंत्र भरे पट्टी तनीयंत्र पढ़ता जाय स्वप्न में लक्ष्मी नथा पानो बहुत नजर आवें सवा लक्ष होने से मंत्र यंत्र सिद्ध होय ॥ इति ।। . 4 Phone DashE ran

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