Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 81
________________ घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः . प्राचीन घण्टाकणाकल्प को हस्तलिखित प्रति का अंश। ॐ घंटा क गो म हा वी र सर्व व्या . धि लिखि तो ऽक्ष र पंक्ति भि से गा स्त धि व क णों ज पा क्षयं शाकिनी व वि दे व र णो न म्य न ध म भ प्रमा में पं म ना म्नि नुहों , प्ये म णाम ष्ट क्लि ले यं स्नु म्बा हा हा रणा व म्पक नि ना का भ मो न रसो कम ना ज वि न्य यनर बी ग्नि प्र नाय ला ग म्या मन त प भ भालपन पन पत्र न ना डू को क न पि के .. ल व हा म ख. र दा र प्रोप्रा मुभुः अथ घण्टाकर्ण कल्प लिख्यते--स यंत्र निरंतर स्तबीयेये तो बलवान रोगन रहै । अथवा रात्रि सोतां सुमिरिये तो चोर न लाम अथवा कुमारी कन्या सूत्र डोरी

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