Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 27
________________ ॐ नमः सिध्देभ्यः । श्री महावीराय नमः | घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः ●जैनाचार्य [ अनुवादक का मंगलाचरण ] पंचपरमेष्ठी को नमन कर ध्याऊँ जिभावसार, चौदह सौ बावन गणधरों को, नमन करूँ जय बार । आदि महाबीर बिमल गुरु, सम्मति गुरण भण्डार, नमन करू त्रियोग से, मोक्षलक्ष्मी मिल जाय ॥ [ग्रंथ का मंगलाचरण ] सिद्धि योग । देवेन्द्र मुझे शोध अध संस्थान क्रमांक 182 उदयपुर सर्वारिष्ट निवारणम् ।। प्ररणम्य श्री जिनाधीश, ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकं । घण्टाकर्णस्य कल्पस्य अर्थ :- जिनों में जो आधीश हैं, ऐसे सवें तीर्थंकरों को नमस्कार करके घण्टाकर्ण कल्प की विधि को कहूँगा, जो सर्व प्रकार की ऋद्धि सिद्धि प्रदान करने वाला है भीर सर्व अरिष्ट का निवारण करने वाला है । शुभ कार्य की विधि :-- शुभ कार्य करना हो तो शुभ महिना देखकर उसके शुक्ल पक्ष में भद्रातिथियों को छोड़कर करें । उसमें शुक्रवार, सोमवार, बृहस्पतिवार, बुधवार शुभ हैं । तथा नक्षत्रों में रोहिणी, उत्तर भाद्रपद, अश्विनी, उत्तर आषाढ़, उत्तर फाल्गुन शुभ हैं । शाक े :--- शंकर, मरूत् (वायु), तिक्षा योग :- शुभयोग, सिद्धियोग, श्रीतच्छ, श्रानंद, छत्रयोग, श्रमृत (राज.)x X

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