Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ ४ ] घण्टाक मंत्र कल्पः तस्य न सर्पेण - नाकाले मरणं अग्निश्चोरभयं नास्ति, घण्टाकर्णी नाकाले मरणं तत् नच सर्पेण दृष्यते अग्नि चोरभयं नास्ति श्रीं क्लीं घंटाकर्णो नमोस्तुतेः ठः ठः ठः स्वाहा। ॐ ह्रीं घंटाकर्ण महावीर सर्व व्याधि विनाशकः, विस्फोटकभयं प्राप्त रक्ष रक्ष महाबल । हीँ ॐ ह्रीँ हीँ फै ॐ लूँ हाँ लूँ. दंस्यते । नमोस्तुते ||४|| [ यंत्र चित्र नं० [१] "bal finte en pat रोगास्तत्र प्रणस्यतिः वात पित्त कफोद्भवाः। यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितो द्वार पतिभिः,

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88