________________
घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं घण्टाकर्णे ठः ठः ठः स्वाहा । यह घण्टाकर्ण का मूलमंत्र है । ( यंत्र चित्र नं० १ देखें)
दुष्टदेव व शत्रु का भयनिवारण विधि
उपरोक्त घण्टाकर्ण मूलमंत्र का ४२ दिन में ३३००० जाप्य विधिपूर्वक करें । १०८ बार निश्य करें ।
सरसों, काली मिर्च से मंत्र का दशांश होम करें, तो दुष्टदेव व शत्रु का भय निवारण होता हैं ।
ॐघंटाकर्णी महावीर, सर्वव्याधि विनाशकः,
ना कालमरणं तस्याच सपेणहस्ते अपने चोरभयं नास्ति ।. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीघटा कण नमोस्तुतेः ठः ठः ठः स्वाहा ।
विस्फोटक भयं पाने रसरस महाबल ।
शव नारनिभ्यो नमः
श्री नमः
हाँ ह्रीं हूँ नमः
-
निभा
FEYRAK EIA KRONER Eseliik
[ यंत्र चित्र नं०.२.]
[ ५
रोगास्तत्र प्रणस्यति वातपित्तकफोड़ा। यत्रत्वं तिष्ठते देव, लिखितो सर पंक्ति मि
.: