Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 35
________________ घण्टाकर्ण मंत्र करूपः घंटाकर्ण महावीर स व E खि क्ष र पंक्ति भी रो गा स्त ठर्णो ज पा क्ष यं शा कि नी श्र णंत स्य न च स कस्तो ॐ ह्रीं श्रीं क ह स्तु ते 4 इ .. ल अब ल 无行的国立 석식 REKIBILLKI [ यंत्र चित्र नं० ४ ] निषेध कर्म विधि प्रथम मूल मंत्र का जाप करें। उस समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह हो, काले कपड़े पहने, काली माला हो, काला हो भासन हो इस विधि से जाप्य करें। faशेष कोष्टक में देखें । अप संख्या - १,७०,००० (एक लाख सत्तर हजार ) होना चाहिए । यह जाप ४२ दिन में पूरा करना चाहिए । प्रतिदिन जाप की संख्या लगभग ४५२६ होना चाहिए। प्रातः काल ११३१ जाप्य, मध्यान्ह में ११३१ जाप्य, सांय काल में ११३१ जाप्य और अर्ध रात्रि में ११३१ जाप करें। इस प्रकार ४२ दिन तक करें ।

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