Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 36
________________ १०] . घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः जाप्य करके हवन करें। वद प्रतिक्षित करें समय पूरा होने पर दर्शाश आहुति देखें । सामग्री : हरताल, मनशील, नीम की पत्ति, मिरच और सरसों का तेल, सब मिलाकर हवन करना, देवदत्त का नाम लेते जाना । मीठा भोजन करें, नमक रहित खावें भूमिशयन करें । इस विधि से देवदत्त का ( जिसका नाम लेंगे उसका ) निषेध होता है । उच्चाटन विधि सर्व प्रथम घण्टा मूलमंत्र का जाप्य करें। उस समय मुंह पश्चिम दिशा की ओर हो, पीले वस्त्र पहने हो, पीले रंग को ही माला हो इस विधि से ४२ दिन तक ४४,००० जाप्य करना चाहिये । नित्य जाप्य लगभग १००० तक कम से कम हो। वहां २५० प्रातः काल में, रात्रि में २५० इस प्रकार विभाग मध्यान्ह में २५०, सायं काल को २५० व अर्ध कर लेवें । जितने दिन जाप्य करना है, उतने दिन नियम व क्रम से करें । प्रत्येक दिन नित्य पूजा करें, भ्रष्ट द्रव्य से पूजा करें । सामग्री :--- सरसों, बिहडा, कड़वा तेल ( सरसों का तेल ) को मिलाकर देवदत्त ( जिसका उच्चाटन करना हो, उस) का नाम लेकर हवन करें । देवदत्त का नाम लेते जायें और हवन में सामग्री डालते जावें । ऐसा करने पर देवदत्त को विघ्न व विग्रह होते हैं । इस प्रकार देवदत्त का उच्चाटन होता है । पुत्र प्राप्ति विधि पहले घण्टाकर्ण मूलमंत्र का जाप्य करें । उस समय वायव्य कोण में मुह हो उस समय पंचामृत का हवन करें ।

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