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घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः
_जाप्य संख्या--२१,००० जाप्य करें। यह जाप्य २१ दिन में पूरा करें । प्रतिदिन १००० जाध्य करें ।
सामग्री :--".
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प्रातः काल में २५०, मध्यान्ह में २५०, सायं काल में २५० तथा अर्ध रात्रि में २५० इस प्रकार प्रत्येक दिन का विभाग कर लेवें ।
जाई के फूलों से जाप्य करें
इस प्रकार दस महिने तक मंत्र साधन करें। ऐसा करने पर अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होती है ।
अन्य लाभः :--
: राज्य हाथ से गया हो तो पुनः प्राप्ति होती है । भूमि हाथ से गई हो तो पुनः प्राप्त होती है । सौभाग्य प्राप्ति होती है ।
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बद्धि बढने की विधि
पहले घण्टाकर्ण मूलमंत्र का जाप्य करें। यह जाप्य १०,००० की संख्या में करें । २५ दिन जाप्य करने से लाभ मिलेगा ।
नित्य प्रति ४३२ जाप्य करना चाहिए। प्रातः १०८, मध्यान्ह १०८, सायंकाल को १०८ तथा अर्ध रात्रि में १०८ इस प्रकार बाध्यों का विभाग करें । इस प्रकार जाप्य देने से व उसके बाद हवन करने से बुद्धि बढ़ती है, बुद्धि अच्छी होती है, राज्यभय नष्ट होता है, प्रताप बढ़ता है दुर्बुद्धि का नाश होता है, सुख की प्राप्ति होती है ।
गर्भवती की पीड़ानिवारक विधि
मूल घण्टाकर्ण मंत्र को ७ बार पढ़कर निम्नोक्त वृक्षों के पत्ते लेवेंचम्पा का पत्ता, चमेली का पत्ता, मोगरा का पत्ता, नारंगी का पत्ता, नीम का पत्ता, लाल कनेर का पत्ता, गुलाब का पत्ता अथवा सफेद कनेर का पता । २६ कूत्रों का जल लायें ।
मिट्टी के ५ घडें लावें । इन पर ह्रीं को मध्य में लिखें, रों श्री को भी लिखें । सात ठिपके भी लगायें। पंचरंगी धागे से घड़ों को बांधे ।