Book Title: Ghantamantrakalpa
Author(s): Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 41
________________ .घण्टाकणं मंत्र कल्पः [.१५ इस यंत्र को सुगंधित द्रव्यों से लिखें, और लिखकर अपने पास में रखें। तब सर्व प्रकार का सुस्ल उत्पन्न होता है । 'शत्रु का दमन होता है, सर्व विघ्नों का निवारण होता है, अन्न की प्राप्ति होती है । पंचामत से हवन करें। उसके दही, घी, शक्कर, छुहारा, दुग्ध से हवन करके पास में यंत्र रखते जावें। ..... (यंत्र चित्र नं. ६ देखें) . .. WI AAPaकफासका। Mrsexarपत,अग्नि प्रणम्यता - - या श्रीगास्तत्राय नाकाले मरण चासमयना तित्रराज - व्याधेि IN महावीरदेवदत्तः सर्बोपद्रव पायॐ . कुँ स्वाहा। नितिनः।। M FORE अपनाया जिनाधाक किन - a mmeeremon तिकाअष % IERY ... TO Haunte24 SURESHTRA SisinI 2002lbps . : .. .. .. वित्र नं.७] :: . ..."

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