________________
घण्टाकर्ण मंत्र करूपः
... शुभ दिन :-.-रविवार हस्त नक्षत्र, रविवार मूल नक्षत्र, रविवार पुष्य नक्षत्र ... लेना चाहिए।
शुभ शकुन :-~-शुभ चंद्रमा का बल देखना, स्वयं को देखना अर्थात् अपने ऊपर चंद्रमा का बल देखना, इष्ट को देखना, कार्य वाले को देखना, प्रति जागती अग्नि का वास ।
. इतने योगों से स्थापना करना । ये सभी शुभ कर्म में देखना । . भद्रा, पूर्ण तिथियां :--
भद्रा
१.२
पूर्ण+
उच्चाटन कर्म तथा मारण कर्म में श्रेष्ठ मंत्री, मंत्रसाधक कृष्णपक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या को देखें । और बारों में रविवार, शनिवार, मंगलवार को लेवें तथा मृत्यु योग व काल योग लेवें ।
रात्रि में साधना करना ।
स्थान :--अच्छे बगीचे में, कूप्रां, सरोवर अथवा नदी के किनारे पर मत्रसाधना करना । अच्छे छायादार वृक्ष के नोचे और एकान्त में या स्वयं के घर में एकान्त-स्थान में मंत्र साधना करना । मंत्र साधन-विधि :--
प्रथम भूमि शुद्धि करें। उस समय निम्नोक्त मंत्र पढ़ेंॐ ह्रीं श्रीं भूम्यादि देवताय नमः।
इस मंत्र को सात बार पढ़कर भूमि पर जल के छींटे देवें । इसी मंत्र से जलगंधादि समर्पण करें ।
ॐ ह्रीं श्रीं भूम्यादि वेवताय पत्र प्रागच्छ अत्र तिष्ठ तिष्ठ, अत्र मम सनिहितो भव वषट् सन्निधिकरणं, इवं जलं, गंध, अक्षत, पुष्पं चरू', दीपं, धूपं, फलं, स्वस्तिकं च यज्ञभागं च यजामहे अध्यं समर्पयामि स्वाहा ।