Book Title: Dhyanhatak Tatha Dhyanstava
Author(s): Haribhadrasuri, Bhaskarnandi, Balchandra Siddhantshastri
Publisher: Veer Seva Mandir
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सुजुको प्रोहिरा द्वारा इंगलिश में किसी नई ध्यानस्तान की प्रस्तावना के हिन्दी अनुवाद से सहायता मिली है। इसके लिए मैं उक्त दोनों प्रस्तावनाओं के लेखक विद्वानों के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
श्री डा. देवेन्द्रकुमार जी शास्त्री, सहायक प्राध्यापक शासकीय महाविद्यालय नीमच ने, हमारे भाग्रह पर दोनों ग्रन्थों का यथासम्भव परिशीलन कर अंगरेजी में प्रस्तावना ( Foreword ) लिख देने की कृपा की है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता ।
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भन्त में मैं वीर सेवा मन्दिर के उन अधिकारियों को भी नहीं भूल सकता हूं, जिन्होंने प्रस्तुत संस्करण के प्रकाशन का उत्तरदायित्व अपने ऊपर लिया व उसके प्रकाशन की व्यवस्था भी की है ।
हम सभी की यह इच्छा रही है कि ग्रन्थ भगवान् महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव वर्ष के मध्य में ही प्रकाशित हो जाय । पर ऐसा नहीं हो सका। कारण इसका यह रहा है कि यद्यपि ग्रन्थ का मुद्रणकार्य मार्च १९७४ में ही प्रारम्भ हो चुका था, पर कुछ ही समय के बाद स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण जुलाई १९७४ में मुझे दिल्ली छोड़कर घर जाना पड़ा। वहीं मैं लगभग डेढ़ वर्ष रहा। इस बीच " मुद्रणकार्य प्रायः रुका ही रहा। जब मैं नवम्बर १९७५ में यहाँ वापिस श्राया तब कहीं उसके मुद्रणकार्य में प्रगति हुई है । यही कारण है कि ग्रन्थ कुछ विलम्ब से पाठकों के हाथों में पहुंच रहा है।
बीर सेवा मन्दिर, दिल्ली
६-३-१६७६
बालचन्द्र शास्त्री