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Rare Gre Gaare Grenorms
श्री धर्म प्रवर्तन सा२. वस्तुगत व्यवहार कहीए, वळी शुद्ध जीवादि अव्यमां g अनंता गुण अनंता पर्याय ले ते सर्वे स्वस्वनावने नजेजे १ एटले गुण गुण प्रत्ये निन्न व्यक्ति ने पर्याय पर्याय प्रत्ये
निन्न व्यक्ति ने एटले एक अव्यमां अनंत नेदे व्यक्ति ॐ पामीए ते सर्वने वस्तुगत व्यवहार कहीए. ए पेहेलो , नेद कह्यो.
हवे “स्व संपूर्ण परमात्म नाव साधनरूप, गुण साधकावस्थारूप गुण श्रेण्यारोहादि साधन शुद्ध व्यवहार” के० पोतिकुं मूळ रूप जोइए तो शुद्ध व्यास्तिक नये पूर्ण परमात्म नाव तादृश देखाय . अनादि सिद्ध डे. ते संग्रह नय थयो तेनो एवंनूत नय करवो तेनुं नाम साधन शुद्ध व्यवहार कहीए, ते धर्म क्यारे प्रगटे के प्रथम मन योगने स्थिर करे त्यां २जुसूत्र नय पामे ते
नयमां यथाप्रवृत्तिकरणे आवे. ते करणना प्रनावे सात ६ कर्मनी घणी स्थिति घटामे अने एक कोमाकोमी सागरो१) पममां एक पढ्योपमनो असंख्यातमो नाग न्यून एटली
राखे त्यारे अपूर्व वीर्य शक्ति चेतन पामे तेनुं नाम बीजें
अपूर्व करण कहीए, ते वीर्य योगे ए करण अंते ग्रंथिनेद ६ करे अने अनिवृत्ति करणे समकित पामे त्यां शब्द नय कहिये.
जा गंठी ता पढमं गंठि समच्छो नवेबीअं॥ है अनिअट्रि करणं पुण, सम्प्रत पुरखमे जीवे ॥१॥ . हवे यात्मानो उत्सर्ग धर्म नीपजाववा माटे उपयोगनी विशुद्धिए स्वरूप रमण करतां स्वरूप अनुनवतां गुण- १ LABE OrgarBrowse
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