Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah

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Page 322
________________ ranomaraGranswerswers ARRAHMEDARASATERESEASEASES श्री शु३मातिनी रास. दश प्राण आयुष्य योनि, श्वास उश्वास वळी रोगरे ॥ @ शुनाशुन्न क्रिया बहु नेदे, सुख फुःख वळी शोग ॥१ हुकम ॥ ६ ॥ अंग उपांग उंच नीच कुळ जाति, सुस्वर पुःस्वररे ॥ त्रस स्थावर प्रत्येक साधारण, सूदमने बादर॥ हुकम० ॥ ७ ॥ अवगाहना बहु विध जीवनी, रूप कुरूप वळी देहरे ॥ कुधा तृषा वळी पीके मामी, जरा अग्नि डे तेह ॥ हुकम ॥७॥ आहारने निहार करवो, परिणमे सर्वे अंगरे ॥ उदयिक नाव सघळो शहां बे, जीवनो तेह ए. कंग ॥ हुकम ॥ ए ॥ इत्यादिक वस्तु जामी, ते नहीं जीव स्वरूपरे ॥ कर्म बंध योगता ए लाधी, पूर्वकृत ए रूप ॥ हुकम० ॥ १० ॥ ए सत्ता सघळी पुद्गलनी, नाषी ने जीन जूपरे॥ कर्म नावी पर्याय प्ररुप्या, जे नहीं जीव, ए रूप ॥ हुकम ॥ ११ ॥ विनाशीनाव पुद्गलमांकहीए, अविनाशी चेतनरे। ते बे एकपणे कीम थावे, कीहांकाच ने रतन ॥ हुकम० ॥ १५ ॥ पुद्गलनी आवे वर्गणा, ते देखे । पर वस्तुरे ॥ एम परनाग व्हेंचण करीने, अनुन्नवे जीव ए सत्य ॥ हुकम ॥ १३ ॥ गुण पर्याय स्वन्नाव रमणमां, एकत्व वितर्क पावरे ॥ समन्नावे विकल्पने हणी, तीहां सनातक नाव ॥ हुकम ॥ १४ ॥ आयुष्य अंते लहे समश्रेणिये, रूपातित पद सिद्धरे॥ असंख्य प्रदेश निर्मळ निरंजन, ज्ञान शीतळमय ऋद्ध ॥ हुकम० ॥ १५ ॥ ॥ दुहा. ॥ उदयिक नावे संपजे, ते नहीं जीव स्वरूप ॥ Crossoverest GRG.RAGARAGram.orrordGBaramari (१०) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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