Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah

View full book text
Previous | Next

Page 323
________________ YEARNING Brearera SAGARMA શ્રી ગુરૂભક્તિને રાસ. जीव स्वरूप सत्ता विषे, सिद्ध निरंजन नूप ॥१॥ ॥ ढाळ ११ मी॥ ॥ देशी उपर प्रमाणे ॥ वंदो वंदो रे नविक जीव सर्व, हुकम मुनिराया ॥ ६ 5 राज्य करे चेतनपुरनु, गुण पर्याय निज वास रे ॥ मोह है राय आज्ञा नहीं धारे, निर्नय निज गुण तास ॥ दूकममुनिराया ॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥१॥ अनंत ऋद्धि चेतनपुर नरीयो, नहीं चोरनो रहे वासरे ॥ उपयोग नाव सुन्नट अति बळीयो, नहीं चोरनो अवकाश ॥ हूकम०॥ मिथ्यात्व अव्रत कषाय जोग, मूळ चारना उत्तर नेद रे॥ पांच बार पचीशने पंदर, ए चोर सत्तावन नेद ॥ढूकम। ॥३॥ तेमां अधिक अतुल अनिमानी, बलीयो मिथ्यात्व चांच रे ॥ चेतनरायनुं राज्य पमावी, हेमयो जमे पांच ॥ हकम० ॥ ४ ॥ तेमां एक हेम मजबूत , कार्मण नामे फार रे ॥ अनंत पुदगल परावर्त करता, त्रुटे नहीं निरधार ॥ हूकम० ॥५॥ चेतन गुण वीर्य शक्तियें, पामशे मिथ्यात्व तेकरे ॥ त्यार पड़ी पुदगल अर्द्धमांही, त्रुटशे कार्मण हेम ॥ हकमः ॥ ६ ॥ अव्रत कषाय जोग ए त्रणे, बळीया मिथ्यात्व संग रे ॥ मिथ्यात्व नाश थयां बळहीणा, १ १) बळीयो चेतन रंग ॥ इकम ॥ ७ ॥ उपयोग नावे ६ वीर्य फोरवी, हणशे सरवे चोर रे ॥ राज्य करे ९ 9 तीहां निर्भय दावे, सर बंधी बहू जोर ॥ हूकम० ॥७॥ वीर्य अनंत ज्ञान उपयोगी, स्फुरण गुण पर्याय रे ॥ व्यक्ति 9 anRIENarssorerest Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344