Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah

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Page 320
________________ PAG GREGORGram श्री शु३तिनो रास. १ ॥२॥ प्रश्न कर्यु गुरुरायने अति प्यारु, मुनिपद जाणवू , ६ सालं॥ उपदेश करो हुं धारु, मु संसार ॥ हुकम० ॥३॥ १ ६ मुनिपद डे मोटको पांच नेदे, परथम मिथ्यात्वने बेदे ॥ है पामे समकित निवेदे, लीये सदगुरु पास ॥ हूकम० ॥४॥ , अध्यातम पद ग्रहीने यहां दाखं, प्रथम सामायक नाखं॥ आतम गुण रमणता चाखं, सहज समाधि मांह।।हुकम ६ ॥५॥ परमाद योगे समाधि अवराणी, तेने दे जे प्राणी समाधि स्थापे गुणखाणी, उपयोग विशेष ॥ हुकमः ॥६॥ वेदो स्थापन चारित्र ए बीजु, आतम शुद्ध थाय त्यांरीकुं॥ उदाऱ्या हवे चारित्र त्रीजु, तीहां वीर्य विशेष ॥ हुकम॥ परिहार विषय कषायनो इहां थावे, चेतन विशुद्धिमां 3 आवे ॥ परिहार विशुद्धि कहावे, ए त्रीजो नेद ॥ हुकम । मुनिसर० ॥ ॥ गुणगणुं ब्लु सातमुं शहां सुधी, चोथो नेद कहुं नली बुद्धि ॥ श्रेणी आरोह विशुद्धि, उपयोगीक नाव ॥ हुकम० ॥ए॥ निरालंबी आतमा श्रेणी मांगे, आठमेथी चम्वा घोमे ॥ परसंगी पणे सब गंमे, शीवपुर प्रयाण ॥ हुकम मुनि० ॥१०॥ कर्म प्रकृति थोकमा हां टाले, उपाधि सघळी बाळे ॥ अरुपी रूप निहाळे, चिदा-१ नंद नगवान ॥ हुकम० ॥ ११ ॥ विशुद्ध नावे चढतां गण १ पामे, सूक्ष्म संपराय ते नामे ॥ अणु लोन उदयगत सामे, ६ ए चोथो नेद ॥ हुकम० ॥ १५ ॥ यथाख्यात ते पांच, 3 ७ हवे नणीये, मूळथी मोहरायने हणीए ॥ दायक चारित्र , हे ते गणीए, हणी रागने केष ॥हुकम० ॥१३॥ ए पांच नेदे (3०८) PRACTERBrowsersGwaal SSRGBaresearBarahararasRGBGorg Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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