Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah
View full book text
________________
सआय मधि२.
RAGGIRGAR GARAGROOR
११ च्छव अधिको घटमां, अनहद वाजां वाजेरे ॥ सहस@ सूर्योदय तेजे तपता, त्यां अनुलव ज्ञानी विराजेरे ॥माळा० १
॥ १५ ॥ इत्यादि गुण घटतरमा आवे, नय व्यवहार निश्चे ६ बेहु नावेरे ॥ व्यवहारे उपाधि हणतां, निश्चय तद्गत गुण
प्रगटावेरे ॥ माळा० ॥ १३ ॥ बाज्य कटप करणी व्यवहारे, देखी मूढ रंजन थावे रे ॥ अंतर करणी रंजन चतुर नर, ६ एम सिद्धांती सही गावे रे ॥ माळा० ॥ १४ ॥ अंतर गुण 3 माळा जे पेहेरे, हुं तस प्रणमुं पायारे ॥ तेथी शान शीतळता सहीये, गुण गातां गुण वृद्धिये सवायारे॥माळा॥१५॥
॥ सज्झाय ८ मी लघुता विचारनी ।। ॥ चतुर नर सामायक नय धारो ॥ ए देशी ॥
चतुर नर लघुता वृत्ति पेखो, लघुताए सुखीयो गुरुताए दुःखीयो, जीव जगतमां देखो चतुरनर ॥ लघुतावृत्ति 3 पेखो ॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥ १ ॥ लघुताए उपशम
आवे, मोह प्रकृति दबावे॥तीहां समकित चारित्र लहीए, ए शीव सुख कारण थावे ॥ चतुर० ॥ २॥ गुरुतामां माननो वासो, मद मोटपमा नराणो ॥वास्यो न वळे पथ्थर थंनो, एम मान न डोमे जाणो ॥ चतुर० ॥ ३॥ मोटप " करतां बोटप थावे, दुर्गति दीनता पावे ॥ एसो जाणी मोटप मेलो, एम सिद्धांती सही गावे ॥ चतुर० ॥४॥ लघुता करतां विनय आवे, बोधि बीज तीहां पावे ॥ वि
नय रहितने गुण न थावे, गुरुवाइ अनम्र कहावे॥ चतुर० हो ॥ ५ ॥ सबुता चारित्रनुं अंग, चतुर ग्रहो तुमे नाश् ॥
_ ( २८८) ParenesaotmareneNEWS
SaroorkGG.RAGara
३७
SEAR
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344