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श्री धर्म प्रवर्तन सा२. १ पहेला पदनो अर्थ-हवे बीजा पदनो अर्थ कहे जे जीवना टू पांचसें ने सठ नेद, अजीवना पांचसेने साउनेद इत्यादि
जाणे ते गणितानुयोग, ज्ञाता सूत्र आदि धर्मकथानुयोग, ६ व्यवहार चारित्र क्रिया ते चरणकरणानुयोग, धर्मास्ति
कायादि पांच अजीव ते प्रव्यानुयोग द्वीप समुज नरक £ देवलोक क्षेत्र समास इत्यादि अनेक वातो जाणे हे पंमित # नाम धरावे डे पण सिद्धनो साधर्मी पोतीको आत्मा निरं
जन निराकार जे तेने कायाथी जूदो अनुन्नव्यो नथी त्यां ६ 8 सुधी “ सत्वंनजाण" के कां जाणतो नथी एम का से एटले अज्ञानी कही बोलाव्यो
ए गणांगजीना पाउनो अर्थ कह्यो. हवे आचारांगजीना पाउनो अर्थ कहे जे जे पुरुषे एक पोताना आत्माने । जाएयो ने तेणे समस्त जाएयु ए पेहेला पदनो अर्थ कह्यो । 3 हवे जे पुरुषे आत्मानुं मूळ स्वरुप जाएयु , झान दर्शन
चारित्र तप वीर्य उपयोग इत्यादि अनंतागुण, अरूपी, अमूर्ति, अटळ अवगाहना, अव्याबाध इत्यादि अनंता पर्याय. अस्ति नास्ति नित्यानित्य, एक अनेक, सत्यअसत्य, व्यक्त अव्यक्त नेद अनेद जव्य अन्नव्य इत्यादि अनंता
स्वन्नाव तेस्याद्वादपदमयी अनुन्नव्यो आत्मा जेणे वळी ह, निज द्रव्यार्थीक पर्यायार्थीकनुं ज्ञान ले जेने वळी न्याये करी, है
निक्षेपे करी, प्रमाणे करी सप्तनंगी, षट्कारक, सामान्य & विशेष श्यादि पोताना श्रात्मानुं विस्तार ज्ञान ले जेने के
तेने सव्वं जाण के० सर्व जाण कहीए वली तेनेज एक Mor
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