Book Title: Dashvaikalika Uttaradhyayana
Author(s): Mangilalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 7
________________ आशीर्वचन आगम-सम्पादन का काम जब से हाथ मे लिया है, इस कार्य में अनेक साधु-साध्वियां लगे हुए हैं। कोई पाठ-सम्पादन के काम मे सलग्न है, कोई शब्द-सूची तैयार कर रहा है, कोई अनुवाद कर रहा है, तो कोई समीक्षात्मक अध्ययन लिख रहा है और कोई टिप्पण, भूमिका आदि के लेखन मे व्यस्त है । ये सब कार्य आगम-सम्पादन के अभिन्न अंग हैं। मुनि मागीलाल 'मुकुल' ने दशवकालिक और उत्तराध्ययन सूत्रो का हिन्दी पद्यानुवाद तैयार किया है। इन्होने अपनी दृष्टि से काफी श्रम किया है। मैं इस कार्य को अभ्यास के रूप में स्वीकार करता हूँ। यह प्राथमिक प्रयास है। भविष्य मे इन्हे अपने कार्य मे विशेष गतिशील रहना है । दशवकालिक और उत्तराध्ययन का यह सरल, सुवोध पद्यानुवाद जन-जन के लिए उपयोगी बने, इसी आशा के साथ आचार्य तुलसी ग्रीन हाउस, सी-स्कीम, जयपुर १५-१०-७५

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