Book Title: Buddhisagar
Author(s): Sangramsinh Soni
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 13
________________ मध्यकालीन भारत में जैनधर्म ई.स. १३०० से ई.स. १८०० तक ५०० साल का कालखंड मध्ययुग के नाम से प्रसिद्ध है। इस युग में भारत की धार्मिक परंपरा दो भाग में विभक्त थी। एक, हिंदुधर्म (सनातनधर्म) दो, जैनधर्म। इससे बहुत पहले ही बौद्धधर्म भारत से अदृश्य हो गया था। इस कालखंड में भारत ने समाज और संस्कृति के स्तर पर बहुत बडा परिवर्तन अनुभव किया। इस्लाम के आक्रमणने भारत की समूची जीवनशैली को बदल दिया। भारत में इस्लामिक आक्रमण चार खंड में हुआ। आरब, तुर्क, मुगल और अफघान। अलग अलग भूमि से आये हुए इस्लामिक आक्रांताओनें भारत को पराजित किया इतना ही नहीं भारत को सत्ता के बल पर इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्रयास भी किया। ___ भारत में इस्लामिक राज्य के दौरान जैनों की आबादी बडी मात्रा में कम हो गयी। भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रतीक समान मंदिरों का विनाश किया गया या तो फिर उसे मस्जिदों में परिवर्तित किया गया। जैनधर्म भी इस्लाम की आंधी के चपट में आ गया। जैनधर्म के नेतृत्व की दूरदृष्टि के कारण इस विनाश से कुछ अंश में बचने में सफल हुआ। उस समय जैन धर्मावलंबियों की जनसंख्या पर्याप्त मात्रा में थी, जैन श्रेष्ठिओं का राजनैतिक प्रभुत्व था। जैन समाज तब भी आर्थिक रूप से अत्यधिक संपन्न था। अतः इस्लाम की आंधी का असर उत्तर भारत, मध्य भारत, दक्षिण भारत में हुआ, पश्चिम भारत में असर कम हुआ। यहां पर तत्कालीन ऐतिहासिक पार्श्वभूमि में भारत की राजनैतिक स्थिति को समजना प्रस्तुत होगा। सन् १२०६ में भारत के इतिहास में निर्णायक मोड आया जब दिल्ली की सल्तनत भारत की केंद्रवर्ती सत्ता बनी। अल्लाउद्दीन खीलजी (१२९६ से १३१६) के समय दौरान उत्तर भारत में राजपूतों की सत्ता का अस्त हुआ। नर्मदा नदी के किनारी राज्यों से लेकर दर दक्षिण तक के विभिन्न क्षेत्र में विभिक्त राज्य इस विध्वंस को साक्षी बनकर देखते रहे। अल्लाउद्दीन खीलजी के बाद तुघलक वंश के सत्तासमय में दिल्ली सल्तनत ने निर्बलता, अनिश्चितता और उदासीनता से भरे राज्यों पर आक्रमण किया। तुघलक वंश का सत्ताकाल समाप्त होने पर जौनपुर, बिहार, बंगाल, गुजरात और मालवा में स्वतंत्र मुस्लीम राज्यों का उदय हुआ। पर इन सब स्वतंत्र आक्रांताओं के लिये परिस्थिति अनुकूल नहीं थी। पश्चिम भारत के राजपूत राजाओंने मुस्लीम आक्रांताओं की बर्बरता का कसके सामना किया और अपनी स्वायत्तता को बरकरार रखा। इस कालखंड में राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भारत के दो सत्ताकेंद्र थे। एक बहमनीओं का मुस्लीम साम्राज्य और दो, विजयनगर का हिंदु साम्राज्य। ईसा की सोलहवी शताब्दी में बहमन साम्राज्य का अस्त हो गया। किसी भी तरह से विजयनगर के साम्राज्य को १. इस विषय की विशेष जानकारी के लिये देखो संदर्भ- हिंदुमस्जिद, ले. प्रफुल्ल गोरडिया,प्रका.नवभारत साहित्य मंदिर।

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