Book Title: Buddhisagar
Author(s): Sangramsinh Soni
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 93
________________ बुद्धिसागरः (अर्थः) रविवार को मघा नक्षत्र, सोमवार को विशाखा नक्षत्र, मंगलवार को आर्द्रा नक्षत्र, बुधवार को मूल नक्षत्र, गुरुवार को कृत्तिका नक्षत्र, शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र, शनिवार को हस्त नक्षत्र होने पर यमघंट योग बनता है। मूल] द्विदैवादिचतुष्केषु तेषु सूर्यादिसप्तसु। वारेषूत्पातको मृत्युः काणः सिद्धिः क्रमाद्भवेत्॥३१२॥(४.४७) (अन्वयः) तेषु द्विदैवादिचतुष्केषु सूर्यादिसप्तसु वारेषु उत्पातको मृत्युः काणः सिद्धिः क्रमाद्भवेत्। (अर्थः) विशाखा से विशाखा से आरंभ कर चार चार नक्षत्रों का रविवार आदि वार के साथ योग होने पर क्रम से उत्पात, मृत्यु, काण और सिद्धि योग होते है। | रवि | सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि वार योग उत्पात | विशाखा | पूर्वाषाढा | धनिष्ठा | रेवती । रोहिणी | पुष्प उत्तराफाल्गुनी अनुराधा | उत्तराषाढा | शतभिषक् | अश्विनी | मृगशीर्ष | आश्लेषा हस्त काण | ज्येष्ठा । अभिजित् । पूर्वाभाद्रपद | भरणी । आर्द्रा | मघा चित्रा सिद्धि | मूल | श्रवण | उत्तराभाद्रपद कृत्तिका पुनर्वसु । पूर्वाफाल्गुनी । स्वाति मूल] वेदषण्नवदिक्सङ्ख्ये विश्वविंशतिसम्मिते। नक्षत्रे सूर्यनक्षत्राद् रवियोगः शुभो मतः॥३१३॥(४.४८) (अन्वयः) सूर्यनक्षत्राद् वेदषण्नवदिक्सङ्ख्ये विश्वविंशतिसम्मिते नक्षत्रे शुभो रवियोगः मतः। (अर्थः) सूर्य के नक्षत्र से दिन का नक्षत्र चौथा हो तो चौथा शुभ रवियोग होता है, छठा हो तो छठा शुभ रवियोग होता है, नौवां हो तो नौवां शुभ रवियोग होता है, दसवा हो तो दसवां शुभ रवियोग होता है,तेरहवा हो तो तेरहवा शुभ रवियोग होता है और बीसवा हो तो बीसवा शुभ रवियोग होता है। (इससे अतिरिक्त रवियोग अशुभ है।) [मूल] ध्रुवमैत्रेन्दुमूलान्त्यस्वातिहस्तमघासु च। विवाहः शुभदो ज्ञेयो विना लत्तादिदषणम्॥३१४॥(४.४९) (अन्वयः) ध्रुवमैत्रेन्दुमूलान्त्यस्वातिहस्तमघासु च विवाहः लत्तादिदूषणम् विना शुभदो ज्ञेयः । १. उक्तं च दैवज्ञमनोहरेण गर्गेण- मघा विशाखा चार्द्रा च मूलवृक्षं च कृत्तिका। रोहिणी हस्त इत्येवं सूर्यादिवारेषु यमघण्टाः क्रमाद्रवेः॥ (मुहूर्तचिन्तामणिः पीयूषधारा टीका) मघाविशाखाामूलकृत्तिकारोहिणीकरैः।रव्यादिवारसंयुक्तैर्यमघण्टो भृशोऽशुभः॥ (आरम्भसिद्धि टीका-५२) २. अयं श्लोकः हस्तप्रतिषु न दृश्यते-को२०००८, को१५९३२, ओ २८७८

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