Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 272
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सजन्य सजन्य (वि०) मातृ सहित। ०प्रिय, अनुरक्ता ०मित्र, साथी, सम्बंधी । www.kobatirth.org जन्यया मुदा सहितः सजन्यो जन्या मातृसखीमुदो' इति वि (जयो० २७) ०जन समुदाय युक्त। सजप (वि०) जपा सहितेषु सजपेषु जपा कुसुम सहित । (जयो० ६ / ६४ ) सजल (वि० ) [ सह जलेन] जल युक्त, जल सहित । ० आर्द्र, गीता तर सजाति (वि० ) [ समान जातिः अस्य] एक ही जाति का, एक ही वर्ग का । सजातिसमूह (पुं०) कुटुम्बीजन, जाति के लोग परिवार। (जयो०वृ० ५/३) सजातीय (वि०) समान वर्ग के एक से एग वर्ग के सजीव (वि०) चेतनता सहित। सजीववेश: (पुं०) दिगम्बर वंश जन्माज बालक का वेष (भक्ति० ४४ ) सजुष् (वि० ) [ सह जुषते - जुष् + क्विप् सहस्य स ] भोसंसृतिशरीरानि, स्पृहा । तत्त्ववर्त्मनिरता यतः ११२५ सजुष् (अव्य०) सहित युक्त। सज्ज (वि०) [सस्ज्+अच्] तत्पर तैयार किया हुआ । ०वस्त्रों से सुसज्जित | ० समयानुकूल, परिपूर्ण, प्रशस्य। (जयो० ७/५७) सज्जघनं (नपुं०) सुश्रोणी श्रेणी पुरभाग सज्जानि धनानि च तानि । (जयो० ३७/ ११३) सज्जङ्घभाव: (पुं०) तल्लीनता के भाव । ० दृढ़ जंघा युक्त सती समीचीना चासौ जङ्घा च तस्या भावं भजतो धारयतः ' सुदृढजङ्घावत इत्यर्थ: । (जयो०वृ० १ / ४८ ) सज्जनः (पुं०) भद्र व्यक्ति, उत्तम व्यक्ति (जयो० १/१८) (सुद ८२) सत्पुरुष । (जयो० २ / १२) 'सन्ति गेहिषु च सज्जना अहा, सुचित्प्रस्तरेषु मणयोऽपि हि क्वचित्। (जयो० २/१२) सज्जनं (नपुं० ) [ सस्ज्+ णिच् + ल्युट् ] ०बांधना, जकड़ना, धारण करना । ० सुसज्जित करना। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ० चौकीदार, पहरेदार | ०घाट। सज्जक्रमकर (वि०) सज्जनक्रम पर चलने वाला। (जयो० ६/८१) सज्जनता (वि०) भद्रता, समीचीनता, श्रेष्ठता । समी समीचीना चासौ जनता तया सञ्चयः पक्षे सज्जनस्य भावः सज्जनता तया । (जयो० १४/४० ) सज्जनपति: (पुं०) शिरोमणि (जयो० १/१०५) सज्जनपालकः (वि०) सत्पुरुष पालक (समु० ४ / २३) ०नृप, राजा। सज्जनपुरुष: (पुं०) नृराट्, नृपराज। (जयो०वृ० २/५९) सज्जनसहवासित्व (वि०) सत्समागत युक्त (जयो०वृ० ३/४ ) ० नक्षत्र सहित (जयो०वृ० ३/४ ) सज्जनोह: (पुं०) सज्जनों का ज्ञान। (सम्य० ११० ) सज्जवाणी (स्त्री०) समयानुकूल वाणी (जयो०वृ० ७५७) सज्जल (वि०) उत्तम जल (जयो० ३/१० जयो० १/३० ) सज्जा (स्त्री० ) [ सस्ज्+अ+टाप्] सजावट, चित्रकारी। १० वेशभूषा | ० कवच, सैन्य सुरक्षा कवच । सज्जाति (वि०) उत्तम जाति वाला (जयो०वृ० १२/७३) विशुद्ध जाति । सज्जित (वि० ) [ सज्जा + इतच् ] सजाया हुआ, वस्त्र धारण किये हुए। ०तैयार किया हुआ। ० संवारा गया, सुसज्जित किया गया। सज्जीकरणं (नपुं० ) [ सत्क्रिया] उत्तम कार्य। (जयो०वृ० २१/४) सज्जीकृत (वि०) सम्यक् सम्पादित (जयो० ३ / १०२ ) सज्य (वि० ) [ सहज्यया-सहाय सः ] धनुष की डोरी सहित । डोरी से कसा हुआ। सज्योत्स्ना ( स्त्री० ) [ सह ज्योत्स्नया ] चांदनी रात, स्वच्छ For Private and Personal Use Only रजनी । साद (वि०) कथित कहा, सञ्गाद (सुद० ११०) सच (पुं०) [ संचीयते अत्र सम्: + चि+ह] पत्र संग्रह | सञ्चत् (पुं०) [सम्+चत् + क्विप्] ठग, धूर्त, दगाबाज । सञ्चयः (पुं० ) [ समृ + चि+अच्] ०ढेर, राशि समूह, मण्डन (सुद० १०७) ० संग्रह। ० निश्चित। (जयो० २३ / ५९ ) • एकत्र करना, इकट्ठा करना।

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