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बृहद् संस्कृत-हिन्दी शब्द कोश
निर्णिक्ता पोषक (पक्ष में युद्ध )। निर्याण-अपांग प्रदेश आंख के कटाक्ष का निकटवर्ती प्रदेश,
दोह
निर्वापणी- सुखकारिणी संतोषदायिका ।
निर्विण्ण विरक्त
निर्वृत- समाप्त | निर्वृति निर्वाण मोक्ष
निवात- वायु के संचार से रहित ।
निशान तीक्ष्ण करना।
निर्वृति-सुख
निर्वृति-समाप्ति ।
निरारेका सन्देह रहित।
निरारेका संदेह रहित।
निरोति- अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूषण, शलभ, शुक और निकटवर्ती शत्रु राजा इन छह ईतियों से रहित ।
निलिम्प देव।
निःश्रेयस मोक्ष।
निःश्रेयस - मोक्ष |
निष्क्रम-निकलना।
निष्क्रमण-दीक्षा धारण करना। निषङ्ग-तरकश ।
निष्ठयूत थूका हुआ।
निष्ठा समाप्ति | आस्था
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निष्ठितायु- जिसकी आयु पूर्ण हो चुकी है मरणोन्मुख ।
निष्ठितार्थ- कृतकृत्य ।
निष्प्रवीचार- मैथुन रहित।
नीकाश सदृश ।
नीड-आश्रय
नीहारांशु चन्द्रमा नैगम वैश्य। ०नय विशेष
नैर्ग्रन्थी- दिगम्बर मुनि सम्बन्धी नै: संगी- दिगम्बर मुनि सम्बन्धी ।
प
पङ्कजवासिनी लक्ष्मी
पञ्चकल्याण- १. गर्भ, २. जन्म, ३. तप, ४. ज्ञान, ५. निर्वाण । पञ्चब्रह्मन्- १. अरहन्त, २. सिद्ध ३ आचार्य, ४ उपाध्याय, ५. साधु । पञ्चयन्ती विस्तार करती हुई।
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विशिष्ट शब्द
पञ्चाश्रर्य- १. रत्नवृष्टि, २ पुष्पवृष्टि, ३. गन्धोदकवृष्टि, ४. मन्दसुगन्धित पवन और ५. 'अहोदानं अहोदानं' की ध्वनि । *
पटवास- कपड़ों को सुवासित करने वाला चूर्ण | पटविद्या- विषा पहरण विद्या ।
पणव- वाद्य विशेष ।
पतत्पति-पक्षियों का स्वामी गरुड़
पतिब्रुव अपने को झूठ ही पति बतलाने वाले पत्र- पत्ते, पक्ष में वाहन । पत्रिन् पक्षो
पदशास्त्र-व्याकरणशास्त्र ।
पद्मविष्टर पद्मासन।
पद्मा लक्ष्मी
पद्माकर कमलों से सुशोभित तालाब कमलवन।
पयस्विनी - दूध देने वाली गाय ।
पयोधर - मेघ ।
परचक्र- परराष्ट्र । पर्जन्य- मेघ ।
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परासुना-मृत्यु |
परिक्रम- नृत्य काल में पाद विक्षेप अथवा फिरकी लगाना । परिक्रम- पदविन्यास ।
परिगति- प्रदक्षिणा ।
परिणत पके हुए।
परिणेता विवाह करने वाले अथवा परि उपसर्गपूर्वक नी ध
परिष्वक्त- आलिंगित ।
पल्वल - छोटा तालाब ।
तु का लुदलंकार का रूप विवाह करेंगे।
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पाकसत्त्व-क्रूर पशु ।
पाणविक - पणवाद्य को बजाने वाला।
पादात पैदल सैनिकों का समूह। पाप्मा-पापी
पार्थिव - वृक्ष, पक्ष में, राजा पृथिव्यां भवाः पार्थिवा वृक्षा: पृथिव्या अधिपाः पार्थिवा राजानः ।
पार्थिवकुंजर श्रेष्ठ राजा ।
पारदृश्वरी पार को देखने वाली।
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पार्वण - पूर्णिमा का । पार्ष्णि एडी। पिठर-स्थाली-बटलोई।