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विशिष्ट शब्द
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बृहद् संस्कृत-हिन्दी शब्द कोश
रत्नसमुद्गक-रत्नों का पिटारा।
वर्षधर-वृद्ध कञ्चकी अन्तःपुर के कर्मचारी। रत्नावली-रत्नों की वह माला जो सुवर्ण और मणियों से | वर्षवृद्धिदिन-जन्मोत्सव का दिन। चित्रित होती है। व्रत विशेष।
वर्षीयस्-वृद्ध। रथकड्या-रथसमूह।
वर्धन-प्रमाण, वर्ष देह प्रमाणयोः इत्यमरः। रथाङ्ग-गाड़ी का पहिया।
वराककः-दीनप्राणी-बेचारा। रश्मिकलाप-जिसमें ५४ लड़ियां हों ऐसा हार।
वरारोहा-उत्तम स्त्री। रसातल-नरक।
वरीभृष्टि-अतिपाक। राजक-राजाओं का समूह।
वरीवृष्टि-अतिछेदन। राजत-चांदी के बने।
वलिभ-वलि-नाभि के नीचे विद्यमान रेखाओं से युक्त। राजन्वती-योग्य राजा से युक्त।
वल्लभिका-प्रिय देवांगनाए। राजन्वती-योग्य राजा से युक्त पृथिवी।
वल्लूर-सूखा मांस। राजा-चन्द्रमा।
वसुन्धरा-पृथिवी। राम-बलभद्र।
वंशोचित-बांस के योग्य, पक्ष में कुल के योग्य। रिरंसा-रमण-क्रीड़ा की इच्छा।
वाग्मिन्-प्रशस्त वचन बोलने वाला। रूपक-नाटका
वाङ्मय-व्याकरण, छन्द और अलंकार शास्त्र के समुदाय को रेचक-भ्रमण, नृत्य करते-करते फिरकी लगाना।
वाङ्मय कहते हैं। रैधारा-धन की धारा।
वाचंयमत्व-मौनव्रत। रैराट-कुबेर।
वाजिवदन-किन्नर। रोदसी-आकाश और पृथ्विी का अन्तराल।
वातरशन-दिगम्बर। रौक्म-सुवर्ण सम्बन्धी।
वातवल्कला-दिगम्बर।
वादिन-शास्त्रार्थ करने वाले। लव-एक प्रमाण विशेष। राम का पुत्र।
वार्थ-वृक्ष सम्बन्धी वृक्षस्येदं वाक्षम्। ललिताङ-सुंदर, शरीर वाले, पक्ष में भगवान ऋषभदेव की
वालधि-पूंछ। एक देव-पर्याय का नाम।
वालधि-पूंछ। ललिताङ्गक-सुंदर शरीर का धारक।
वाल्लभ्यलाञ्छन-पतिपने का चिह्न। ललिताङ्गचर-पहले का ललितांग।
वास्तुविद्या-मकान बनाने की विद्या। लुब्धक-म्लेच्छों की एक जाति।
विकच-विकसित। लौकान्तिक-ब्रह्म स्वर्ग में रहने वाले देवों की एक जाति। विकृत्य-विक्रिया करके। लौकायतिकी-चार्वाक मत सम्बन्धी।
विचक्षण-विद्वान्। विचतुरक्रीडा-विशिष्ट चातुर्यपूर्ण क्रीडा।
विजयच्छन्द-जिसमें पांच सौ लडियां होती हैं ऐसा हार। इसे वज्रसङ्क-वज्र के समान सुदृढ़ जांघों वाले, पक्ष में भगवान् ऋषभदेव की पूर्वपर्याय का नाम।
नारायण तथा बलभद्र पहनते हैं। वजनाभि-वज्र के समान स्थिर नाभि से युक्त, पक्ष में भगवान्
वितनु-शरीर रहित।
वितस्ति-बारह अंगुल के एक वितस्ति होती। ऋषभदेव की पूर्वभवपरम्परा का एक नाम। वज्राकर-हीरे की खान।
विदेह-शरीर रहित मुनि। वज्री-इन्द्र।
विधुवीधः-चन्द्रमा के समान शुक्ल। वयस्या-तरुण अवस्था से युक्त।
विद्रुम-मूंगा। वर्ण-ब्राह्मणादिवर्ण, पक्ष में अक्षर।
विधियः (विधि)-बुद्धिहीन।
व
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