Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 389
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हास्यरूपेन्द्रुः १२४२ हिङ्गुलु हास्यरूपेन्द्रः (स्त्री०) चन्द्रिका, कौमुपी। (जयो०१० ११/५३) ० दु:ख। हास्यविनोदः (पुं०) हंसी-मजाक। (जयोवृ० ३/१) ० प्राणहापन। हारवः (पुं०) हाहा कार के शब्द। ० प्राणच्छेद। हा हन्त (वि०) हाय। हा हंत किन्तु समुपैमि मले: प्रतापम्। ० क्षति, हानि। (जयो० २२/२५) ० वध, घात, विध्वंस। हाहा (पुं०) [हा इति शब्दं जहति हा हा क्विप्] • एक गन्धर्व। ० प्रहार, संहारभाव। (सुद० पृ० १२८) प्राणानां ० पीड़ा/शोक सम्बंधी उद्गार। व्यपरोपणस्य करणं हिंसा प्रमादेन या (मुनि० ५) हाहाकारः (पुं०) शोक, विलाप, दुःख, रोना-धोना। ० गमनागमन का आरम्भ (वीरो० १६/७२) हाहान्धकारः (पुं०) हाय हाय! (जयो० १५/२४) प्राणाः प्रणाशमुपयान्ति यथेति कृत्वा। हि (अव्य०) क्योंकि ही, हु, फिर भी, इसलिए, कि, निश्चय, कर्ता प्रमाद्यति यतः प्रतिभाति हिंसा। ही। (सम्य० १८/९) (सुद० १०२) (सुद० २/५०) हीति पापं पुनर्विदधती जगते न किं सा।। (सुद० १२५) निश्चये (जयो० ५/४९) हयस्त्विति विचार्येत्यर्थः। हिंसाकर्मन् (नपुं०) कोई भी हानिकारक कर्म। (जयो० १३/६) हिंसादानम् (नपुं०) वध हेतु दान। ० उत्प्रेक्षार्थ-हीत्युत्प्रेक्षायां समस्ति। (जयो० १३/७८) हिंसानन्दः (पुं०) हिंसानुबन्धी। हिंसायां रझं तीव्र हिंसानन्दं तु (जयो० १८४०) नन्दितम्। (जैन०ल० १२/५) ० वाक्य पूरणार्थः। (जयो० १०/१९) हिंसानन्दी (स्त्री०) हिंसानन्द का व्यापार। हि (अक०) भेजना, प्रेषित करना। रौद्रध्यान की प्रमुखता। (मुनि० २२) ० चलाना, दागना। हिंसानुबन्धी (स्त्री०) हिंसानन्दी नामक रौद्रध्यान। ० फेंकना, छोड़ना। हिंसापरक (वि०) हिंसा जनक। (वीरो० १/३२) ० भड़काना, उकसाना। हिंसाप्रदानम् (नपुं०) हिंसादान, वध हेतु दान। ० तृप्त करना, प्रसन्न करना। हिंसारु (पुं०) बाघ, चीता। हिंस् (उभयपपी) हिंसा करना, मारना, घायल करना, प्रहार हिंसालु (वि०) [हिंसा+आलुच्] हानिकारक, हिंसा करने वाला। करना, नष्ट करना। ० घातकारी, आरंभी। ० कष्ट देना, संताप देना। हिंसीरः (पुं०) [हिंस्+ईरन्] बाघ। ० आघात पहुंचाना, हानि करना। ० पक्षी। ० क्षति करना, नाश करना। ० उपद्रवी व्यक्ति। ० हत्या करना, आरम्भ करना। हिंस्य (वि०) [हिंस्+ण्यत्] मारने योग्य, वध करने योग्य। ० प्रतिघात करना। हिंस्त्र (वि०) [हिंस्+र] घातक, हानिकारक, क्रूर, भयंकर। हिंसक (वि०) [हिंस्+ण्वुल] घातक, मारक, प्रहारक। हिंस्रः (पुं०) क्रूर प्राणी, हिंसक जीव। ० क्षतिकर, हानिकारक। हिंस्त्रपशु (पुं०) क्रूर जानवर। ० आरम्भिक क्रिया। हिक्क् (अक०) अस्पष्ट उच्चारण करना, हिचकी लेना। हिंसकः (पुं०) शत्रु, शिकारी, घातक। दयते स्वकुटुम्बादौ (जयो० १९/६२) हिंसकादपि हिंसकः। (वीरो० १५/५९) हिक्का (स्त्री०) हिचकी। हिंसनम् (नपुं०) [हिंस+ल्युट्] प्रहार करना, चोट पहुंचाना। हिङ्कारः (पुं०) हुंकार भरना, मन्द ध्वनि करना। __० वध करना। हिङ्गु (पुं०/नपुं०) हींग का पौधा। हिंसा (स्त्री०) [हिंस्+अटाप्] जीववध, प्राणीघात, सत्त्वविनाश, हिङ्गलः (पुं०) ईंगुर, सिन्दूर। रक्तवर्ण, विशेष, ईंगुर इति प्राणव्यपरोपण, प्राणवियोग, प्राणवियोजक। प्रसिद्ध (जयो० १८/३५) ० छेदन, भेदन, त्रास। | हिङ्गुलु (पुं०) ईंगुर, सिंदूर। For Private and Personal Use Only

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