Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 397
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह्रस्वगर्भः १२५० ह्रस्वगर्भः (पुं०) कुश नामक घास। ह्रस्वमात्रा (स्त्री०) लघुमात्रा, छोटी मात्रा। ह्रस्वमूर्ति (स्त्री०) ठिगना, बौना। हाद (अक०) शब्द करना, कोलाहल करना। हादः (पुं०) [ह्राद्+घञ्] ध्वनि. शोर। हादिनिका (स्त्री०) विद्युत। (जयो० २४/२८) ह्रादिनी (स्त्री०) नदी, विद्युत, शल्लकी वृक्ष। ह्रासः (पुं०) [ह्रस्+घञ्] क्षय, अवनति, पतन, प्रनाश, नाश। ० शब्द, कोलाहल। ० घटी, कमी। ० छोटी संख्या। हीणीया (स्त्री०) [हिणी+यक+अ+टाप] भर्त्सना, निन्दा। ० शर्म, लज्जा । ह्री (अक०) लज्जित होना, शर्माना। ह्री (स्त्री०) [ह्वी+क्विप्] लज्जा, शर्माना। ० संकोच। (मुनि० १) (जयो० १२/११४, १६२) ० विनयभाव। (वीरो० २/४२) ह्रीं (पुं०) शिव, मंगल। (जयो० २१/१००) ह्रींकारक (वि०) [ह्रींकार एव ह्रींकारक] स्वार्थक (जयो० १९/५१) ह्रीण (वि०) लज्जित, लज्जा युक्त। (जयो० ५/९२) ह्रीणता (वि०) लज्जापन, लज्जा युक्त, लज्जालुता (जयो० १७/२८) हीवेरम (नपं०) [ह्नियै लज्जायै वैरम] एक गन्ध द्रव्य विशेष। हृष (अक०) अश्व हिनहिनाना, रेंकना, शब्द करना। हृषा (स्त्री०) हिनाहिनाहट। हृग् (अक०) ढापना। हृत्तिः (स्त्री०) हर्ष, प्रसन्नता, खुशी। ह्लाद् (अक०) प्रसन्न होना, खुश होना। ० शब्द करना। ह्लादः (पुं०) हर्ष, खुशी, आनन्द। ह्रादनम् (नपुं०) खुशी, प्रसन्नता। ह्लादिन् (वि०) [ह्लाद् णिनि] खुश होने वाला। ह्ववल् (अक०) जाना। ० थरथराना। ० कापना। ह्वानम् (नपुं०) [हे ल्युट्] आमंत्रण, क्रन्दन। ह (अक०) कुटिल होना। ० ठगना। ० धोखा देना। ढे (सक०) बुलाना, पुकारना, आह्वान करना। प्रार्थना करना। . . For Private and Personal Use Only

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