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ह्रस्वगर्भः
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ह्रस्वगर्भः (पुं०) कुश नामक घास। ह्रस्वमात्रा (स्त्री०) लघुमात्रा, छोटी मात्रा। ह्रस्वमूर्ति (स्त्री०) ठिगना, बौना। हाद (अक०) शब्द करना, कोलाहल करना। हादः (पुं०) [ह्राद्+घञ्] ध्वनि. शोर। हादिनिका (स्त्री०) विद्युत। (जयो० २४/२८) ह्रादिनी (स्त्री०) नदी, विद्युत, शल्लकी वृक्ष। ह्रासः (पुं०) [ह्रस्+घञ्] क्षय, अवनति, पतन, प्रनाश, नाश।
० शब्द, कोलाहल। ० घटी, कमी।
० छोटी संख्या। हीणीया (स्त्री०) [हिणी+यक+अ+टाप] भर्त्सना, निन्दा।
० शर्म, लज्जा । ह्री (अक०) लज्जित होना, शर्माना। ह्री (स्त्री०) [ह्वी+क्विप्] लज्जा, शर्माना।
० संकोच। (मुनि० १) (जयो० १२/११४, १६२)
० विनयभाव। (वीरो० २/४२) ह्रीं (पुं०) शिव, मंगल। (जयो० २१/१००)
ह्रींकारक (वि०) [ह्रींकार एव ह्रींकारक] स्वार्थक (जयो०
१९/५१) ह्रीण (वि०) लज्जित, लज्जा युक्त। (जयो० ५/९२) ह्रीणता (वि०) लज्जापन, लज्जा युक्त, लज्जालुता (जयो०
१७/२८) हीवेरम (नपं०) [ह्नियै लज्जायै वैरम] एक गन्ध द्रव्य विशेष। हृष (अक०) अश्व हिनहिनाना, रेंकना, शब्द करना। हृषा (स्त्री०) हिनाहिनाहट। हृग् (अक०) ढापना। हृत्तिः (स्त्री०) हर्ष, प्रसन्नता, खुशी। ह्लाद् (अक०) प्रसन्न होना, खुश होना। ० शब्द करना। ह्लादः (पुं०) हर्ष, खुशी, आनन्द। ह्रादनम् (नपुं०) खुशी, प्रसन्नता। ह्लादिन् (वि०) [ह्लाद् णिनि] खुश होने वाला। ह्ववल् (अक०) जाना। ० थरथराना। ० कापना। ह्वानम् (नपुं०) [हे ल्युट्] आमंत्रण, क्रन्दन। ह (अक०) कुटिल होना। ० ठगना। ० धोखा देना। ढे (सक०) बुलाना, पुकारना, आह्वान करना। प्रार्थना करना।
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