Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 432
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशिष्ट शब्द १२८५ बृहद् संस्कृत-हिन्दी शब्द कोश अब्द-वर्ष। अब्द-मेघ। अब्द-मेघ। अभिगम्य-सेवनीय। अभिजात-योग्य उचित। अभिज्ञान-पहचान। अभिरूप-मनोज्ञ। अभिष्टव-नाम। अभिसिसीर्षा-अभिसार-संभोग के लिए गमन की इच्छा। अभुत्-अज्ञानी। अभ्यस्त-गुणित। अभ्युदय-स्वर्गादिका। वैभव अमर-दिव्य, देव। अमा-साथ। अमा-साथ। अमेध्यादन-विष्ठा का भक्षण। अमृतपद-मोक्ष। अम्भोजवासिनी-लक्ष्मी। अयुक्छद-सप्तपर्ण। अयुत-दस हजार। अर्चा-प्रतिमा। पूजा। अर्चिष्-ज्वाला। अरण्यचरक-म्लेच्छों की एक जाति जो अधिकतर जंगलों में घूमती है। अर्धमाणव-जिसमें दस लड़ियां हों ऐसा हार। अर्धगुच्छ-जिसमें चौबीस लड़ियां हों ऐसा हार। अर्धमागधी-प्राकृत भाषा का एक रूप। अर्धहार-जिसमें चौंसठ लड़ियां हो ऐसा हार। अराल-कुटिल। अरुष्करद्रव-भिलसाका तेल। अलीकविचरक्षण-झूठा बोलने में चतुर।। अवघाटकयष्टि-जिसके बीच में एक बड़ा और उसके आजू-बाजू में क्रम से घटते हुए छोटे मोती लगे हों ऐसी एक लड़बाली माला। अवघाटक-यष्टि नामक हार का एक भेद। अवधीक्षण-अवधिज्ञानी। अवनिप-राजा। अवपात-गर्त। अवभृथ (मज्जन)-कार्य के अन्त में होने वाला स्नान। अवलग्न-मध्य भाग, कमर। अवावा (अवावन्)-दूर करने वाला, ओण अपनयने इत्यस्माद धातोर्वनिपप्रत्ययः। अवृजिन-निष्पाप। अशनाया-भूखा अशोकमहाध्रिप-अशोक वृक्ष नाम का प्रातिहार्य जिस वृक्ष के नीचे भगवान् को केवल ज्ञान होता है वह वृक्ष कहलाता है। अश्वतरी-खच्चरी। असिधेनुका-छुरी। अस्पृश्यकारु-प्रजा के बाह्य रहने वाले चाण्डाल आदि। अस्वन्त-जिनका अन्त अच्छा नहीं। अहीन्द्र-धरणेन्द्र। आ आगम-सूत्रग्रन्थ, आप्तवचन। आजुहुष-बुलाने का इच्छुक। आञ्जस-वास्तविक। आतोद्य-वादित्र। आत्मनीन-आत्मने हितम् आत्मनीनम्। आत्रिक-इस लोक सम्बन्धी। आधि-मानसिक व्यथा आप्तपाश-आप्ताभास कुत्सिताः आप्तपाशाः याप्येपाशप्। आप्यायन-सन्तोषपरक। आभिगाभिक-सब के अनुकूल। आमुत्रिक-पारलौकिक। आयुर्वेद-वैद्य विद्या। जीवन विज्ञान। आयुष्य-आयुवर्धक। आराम-शरीरादि पर्याय। आशा-दिशा। अभिलाषा। आशुशुक्षणि-अग्नि। आहार्य-आभूषण। इक्षुधन्वा-कामदेव। इङ्गितकोविदा-चेष्टाओं के जानने में निपुण। इज्या-पूजा। इन-स्वामी। इन्द्र-देवराज। For Private and Personal Use Only

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