Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 394
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हृदयङ्गम १२४७ हृदयङ्गम (वि०) मर्म स्पर्शी. रोमाञ्चकारी। हृषद (वि०) पूज्य। ० मधुर, आकर्षक, चित्तयोग्य। हृष्यज्जन (वि०) हर्ष युक्त होने वाला। (सुद० ११०) ० सुखद, रुचिकर। हृषित (भू०क०कृ०) [हृष्+क्त] खुश, प्रसन्न, आनन्दित, हृदयपयोधिः (पु०) विशाल हृदय, गहीर हृदय। हर्षित, आह्लादित। रोमाञ्चित, प्रफुल्लित। हृदयपीड़ा (स्त्री०) मन की अशान्ति। (वीरो० १४/१४) | हृषीकम् (नपुं०) [हृष्+ईकक्] ज्ञानेन्द्रिय, इन्द्रिय। (सुद० (जयो० २०/३०) ११८) हृषीकाणि समस्तानि माघन्ति प्रमदाऽऽश्रयात्। हृदयभू (स्त्री०) चित्त रूपी भूभाग। (जयो० ६/१२५) (वीरो० ८/९१) हृदयविध्/हृदयवेधिन् (वि०) हृदय को बींधने वाला। हृषीकसुखं (नपुं०) इन्द्रिय सुख। (जयो० २५/८४) हृदयविदारक (वि.) चित्त को अशान्त करने वाला। चित्तघातक। हृष्ट (भू०क०कृ०) [हृष्+क्त] हर्षयुक्त, हर्षित, श्लाघापरायण। (दयो०६४) (वीरो० ४/१८) हृदयवृत्तिः (स्त्री०) चित्त की प्रवृत्ति, हृदय का स्वभाव। हृष्टचित्त (वि०) मन से प्रसन्न, आनन्दित। हृष्टमानस (वि०) प्रसन्नचित्त, आनन्दित। हृदयास्थानम् (नपुं०) वक्षःस्थल। हृष्टरोमन (वि०) ० पुलकित, रोमाञ्चित। हृदयालङ्कारः (पुं०) हार, कंठाभरण। (जयो०वृ० १/८७) ० प्रफुल्लित, आनंदित। हृदयालु (वि०) [हृदय+आलुच] कोमल हृदय वाला, सरस हृष्टवदन (वि०) प्रसन्नमुख, हर्षयुक्त मुख हंसमुख। चित्त युक्त। हृष्टसंकल्प (वि०) संतुष्ट, खुशी। हृदयेश्वरः (पुं०) प्राणेश्वर। (जयो०वृ० १५/४८) हृष्टिः (वि०) [हष्+क्तिन्] आनन्द, उल्लास। हृदयोपरूपिणी (स्त्री०) सब लोगों की अच्छी लगने वाली। . हर्ष, खुशी। (समु०२/१३) हृस्ट (वि०) सुसज्जित, सुसज्ज। (जयो० १२/१३) हृदानुवृत्तम् (नपुं०) हृदयस्थान। रमां समाराधयितुं प्रवृत्तः हे (अव्य०) [हा+डे] सम्बोधन वाचक परक अव्यय। हे प्रसूनतुल्येन हृदानुवृत्तः। (जयो० १९/९१) हृदा चित्तेनानवत्तो नाभिजातासि किलाभिजातः। (जयो० १३/१७) ईर्षा, डाह, युक्त आसीदीति। द्वेष आदि प्रकट करने वाला अव्यय। हे विश्वभूषण! हृदार्तिः (स्त्री०) हृदय पीड़ा, चित्त की आकुलता। विभाति दिनस्य भर्ता। (जयो० १८/७६) हृदाशिका (स्त्री०) हृदय की आशा, चित्ताशा। (जयो० १०/७६) हे शारदे! शारदवत्तवायः। (जयो० १९/२९) हदिकः (पुं०) हृदय। हेक्का (स्त्री०) हिचकी। हृदिस्पर्श (वि०) प्रिय, प्यारा, स्नेही। हेठः (पुं०) [हेठ्+घञ्] बाधा, अवरोध, विरोध, रुकावट। ० रुचिकर, मनोहर, सुंदर। क्षति, हानि। हृदीशः (पुं०) [हृदो ईशः] पति। (जयो० १/९३) हेड् (अक०) तिरस्कार करना, अवज्ञा करना। हृदीशप्रतिबिम्बं (नपुं०) प्राणनाथ की परछाई-हृदि स्ववक्षः ० घेरना, वस्त्र लपेटना। स्थले ईशस्य सम्मुखस्य प्राणनाथस्यैव यत् प्रतिबिम्बम्। हेतिः (स्त्री०/पुं०) [ह्न करणे क्तिन्] शस्त्र, अस्त्र। (जयो० १७/२८) ० आघात, क्षति। हृदीषाङ्गीकरणयोग्य (वि०) हृदय से स्वीकार करने योग्य। ___० प्रकाश, कान्ति, आभा। हृदेकदेवः (पुं०) हृदय का एक मात्र स्वामी। (सुद० २/१२) ० ज्वाला। हृदुदारः (पुं०) हृदय का प्रिय। (जयो० ४/३) हेतुः (पुं०) [हि-तुन] कारण, निमित्त। (सुद० १०१) (सम्य० ४३) हृदोऽनुकूलः (पुं०) हृदयग्राह्य। (जयो० ३/९४) ० उद्देश्य। हृल्लवः (वि०) मनोरथ। (जयो० ५/१८) ० प्रयोजन-कारणभूत। (जयो० १७/५३) हृष् (अक०) खुश होना, हर्षित होना। ० सहायक-ममास्त्वमुष्मिंस्तरणाय हेतुरदृष्टपारे कविताभरे ० आनन्दित होना, प्रसन्न होना। तु। (सुद० १/२) ० रोमांचित होना। ० फल-भृङ्गायते तन्मकरन्दहेतोः। (सुद० २/१३) For Private and Personal Use Only

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