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हृदयङ्गम
१२४७
हृदयङ्गम (वि०) मर्म स्पर्शी. रोमाञ्चकारी।
हृषद (वि०) पूज्य। ० मधुर, आकर्षक, चित्तयोग्य।
हृष्यज्जन (वि०) हर्ष युक्त होने वाला। (सुद० ११०) ० सुखद, रुचिकर।
हृषित (भू०क०कृ०) [हृष्+क्त] खुश, प्रसन्न, आनन्दित, हृदयपयोधिः (पु०) विशाल हृदय, गहीर हृदय।
हर्षित, आह्लादित। रोमाञ्चित, प्रफुल्लित। हृदयपीड़ा (स्त्री०) मन की अशान्ति। (वीरो० १४/१४) | हृषीकम् (नपुं०) [हृष्+ईकक्] ज्ञानेन्द्रिय, इन्द्रिय। (सुद० (जयो० २०/३०)
११८) हृषीकाणि समस्तानि माघन्ति प्रमदाऽऽश्रयात्। हृदयभू (स्त्री०) चित्त रूपी भूभाग। (जयो० ६/१२५)
(वीरो० ८/९१) हृदयविध्/हृदयवेधिन् (वि०) हृदय को बींधने वाला।
हृषीकसुखं (नपुं०) इन्द्रिय सुख। (जयो० २५/८४) हृदयविदारक (वि.) चित्त को अशान्त करने वाला। चित्तघातक।
हृष्ट (भू०क०कृ०) [हृष्+क्त] हर्षयुक्त, हर्षित, श्लाघापरायण। (दयो०६४)
(वीरो० ४/१८) हृदयवृत्तिः (स्त्री०) चित्त की प्रवृत्ति, हृदय का स्वभाव।
हृष्टचित्त (वि०) मन से प्रसन्न, आनन्दित।
हृष्टमानस (वि०) प्रसन्नचित्त, आनन्दित। हृदयास्थानम् (नपुं०) वक्षःस्थल।
हृष्टरोमन (वि०) ० पुलकित, रोमाञ्चित। हृदयालङ्कारः (पुं०) हार, कंठाभरण। (जयो०वृ० १/८७)
० प्रफुल्लित, आनंदित। हृदयालु (वि०) [हृदय+आलुच] कोमल हृदय वाला, सरस
हृष्टवदन (वि०) प्रसन्नमुख, हर्षयुक्त मुख हंसमुख। चित्त युक्त।
हृष्टसंकल्प (वि०) संतुष्ट, खुशी। हृदयेश्वरः (पुं०) प्राणेश्वर। (जयो०वृ० १५/४८)
हृष्टिः (वि०) [हष्+क्तिन्] आनन्द, उल्लास। हृदयोपरूपिणी (स्त्री०) सब लोगों की अच्छी लगने वाली।
. हर्ष, खुशी। (समु०२/१३)
हृस्ट (वि०) सुसज्जित, सुसज्ज। (जयो० १२/१३) हृदानुवृत्तम् (नपुं०) हृदयस्थान। रमां समाराधयितुं प्रवृत्तः
हे (अव्य०) [हा+डे] सम्बोधन वाचक परक अव्यय। हे प्रसूनतुल्येन हृदानुवृत्तः। (जयो० १९/९१) हृदा चित्तेनानवत्तो
नाभिजातासि किलाभिजातः। (जयो० १३/१७) ईर्षा, डाह, युक्त आसीदीति।
द्वेष आदि प्रकट करने वाला अव्यय। हे विश्वभूषण! हृदार्तिः (स्त्री०) हृदय पीड़ा, चित्त की आकुलता।
विभाति दिनस्य भर्ता। (जयो० १८/७६) हृदाशिका (स्त्री०) हृदय की आशा, चित्ताशा। (जयो० १०/७६)
हे शारदे! शारदवत्तवायः। (जयो० १९/२९) हदिकः (पुं०) हृदय।
हेक्का (स्त्री०) हिचकी। हृदिस्पर्श (वि०) प्रिय, प्यारा, स्नेही।
हेठः (पुं०) [हेठ्+घञ्] बाधा, अवरोध, विरोध, रुकावट। ० रुचिकर, मनोहर, सुंदर।
क्षति, हानि। हृदीशः (पुं०) [हृदो ईशः] पति। (जयो० १/९३)
हेड् (अक०) तिरस्कार करना, अवज्ञा करना। हृदीशप्रतिबिम्बं (नपुं०) प्राणनाथ की परछाई-हृदि स्ववक्षः ० घेरना, वस्त्र लपेटना।
स्थले ईशस्य सम्मुखस्य प्राणनाथस्यैव यत् प्रतिबिम्बम्। हेतिः (स्त्री०/पुं०) [ह्न करणे क्तिन्] शस्त्र, अस्त्र। (जयो० १७/२८)
० आघात, क्षति। हृदीषाङ्गीकरणयोग्य (वि०) हृदय से स्वीकार करने योग्य। ___० प्रकाश, कान्ति, आभा। हृदेकदेवः (पुं०) हृदय का एक मात्र स्वामी। (सुद० २/१२) ० ज्वाला। हृदुदारः (पुं०) हृदय का प्रिय। (जयो० ४/३)
हेतुः (पुं०) [हि-तुन] कारण, निमित्त। (सुद० १०१) (सम्य० ४३) हृदोऽनुकूलः (पुं०) हृदयग्राह्य। (जयो० ३/९४)
० उद्देश्य। हृल्लवः (वि०) मनोरथ। (जयो० ५/१८)
० प्रयोजन-कारणभूत। (जयो० १७/५३) हृष् (अक०) खुश होना, हर्षित होना।
० सहायक-ममास्त्वमुष्मिंस्तरणाय हेतुरदृष्टपारे कविताभरे ० आनन्दित होना, प्रसन्न होना।
तु। (सुद० १/२) ० रोमांचित होना।
० फल-भृङ्गायते तन्मकरन्दहेतोः। (सुद० २/१३)
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