Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 352
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोमज १२०५ सौगन्धिकः ilmu inimlililili सोमज (वि०) चन्द्र से उत्पन्न। सोमजः (पुं०) जयकुमार का नाम। जो एक कुशल शासक था। ० बुधग्रह। सोमजोज्ज्वलः (पुं०) जयकुमार। (जयो० ७/८६) सोमजम् (नपुं०) दुग्ध, दूध, क्षीर। सोमदत्तः (पुं०) कोशाम्बिका का एक पंडित। (दयो० ९१) सोमदासः (पुं०) शिंशपावासीधीवर। (दयो० १०) सोमधारी (स्त्री०) गगन, आकाश, नभ। सोमनाथः (पुं०) ० अष्ठमतीर्थंकर चन्द्रप्रभु। शिव। सोमप (वि०) सोमरस पान करने वाला। सोमपतिः (पुं०) चन्द्र, शशि। सोमपानम् (नपुं०) सोमरस का पान, अमृतपान। सोमपाथिन् (वि०) सोमदर पीने वाला। सोमपुत्रः (पुं०) बुध। ० सोमराजा का पुत्र। . जयकुमार। (जयो०८/४६) सोमप्रवाकः (पुं०) सोमयज्ञ कर्ता। सोमबन्धुः (पुं०) कुमुद। सोमभूः (पुं०) बुध। सोमयज्ञः (पुं०) सोमरस से समन्वित यज्ञ। सोमयोनि (स्त्री०) चन्द्र योनि। सोमराजन् (पुं०) जयकुमार के पिताश्री। सोमलता (स्त्री०) गोदावरी नदी। सोमवंश (पुं०) चन्द्रवंश, इन्द्रवंश। (जयो० ७/९१) सोमवंशजात (वि०) सोमवश में उत्पन्न। (जयो० ७/९१) सोमवारः (पुं०) सोमवार, चन्द्रवार। सोमवासरः (पुं०) सोमवार, चन्द्रवार। सोमविचारः (पुं०) सोमस्य विचारो यत्र तत्सोमविचारम् चन्द्रतुल्यमित्यर्थः। (जयो० ५/४१) ० सरल विचार। सोमवृक्षः (पुं०) सफेद खैर। सोमशकला (स्त्री०) एक ककड़ी का नाम। सोमशर्मन् (पुं०) सोमशर्मा नामक ब्राह्मण कोशाम्बिका नगरी एक पण्डित। (दयो०९१) सोमशर्माङ्गनेवाहं साहाय्यं ते तनोमि भो! सोमशिला (स्त्री०) चन्द्र शिला। (जयो० १/११) यशः प्रशस्ति। सोमशोभिन (वि०) चन्द्र शोभित। (जयो० ४/५९) (जयो०वृ० १/१५) सोमसिन्धुः (पुं०) विष्णु। सोमसुत् (पुं०) सोम खींचने वाला व्यक्ति। सोमसुतः (पुं०) जयकुमार। सोमसुता (स्त्री०) नर्मदा। सोमसूत्रम् (नपुं०) चन्द्र प्रवाह। सोमसूनु (पुं०) जयकुमार। (जयो० ७/२३, ५/२९) सोमा (स्त्री०) पार्वती। (जयो०वृ० ५/५९) सोमाङ्गजः (पुं०) सोमाख्य राज्ञः पुत्रः सोमराजा। का पुत्र। (जयो० ६/११२) सोमात्मजः (पुं०) जयकुमार। (जयो० ७/१०) सोमोदयकारिन् (पुं०) सोमवंश का उदय-जयकुमार। (जयो० ८/५०) सोम्य (वि०) [सोम+यत्] सोम रस के योग्य, अमृत तुल्य। ० मृदु, सुकुमार, सरल, मिलनसार। सोरस्ताडम् (नपुं०) प्रशस्ति। (जयो० ६/६०) सोल्लुकण्ठः (पुं०) [उल्लुण्ठेन सह] ० व्यंग्य, ताना, उपहास। चुटकी। सोष्मन् (वि०) [सह उष्मणा] गरम, तप्त। सौकर (वि०) सूकर सम्बन्धी। सौकर्यम् (वि०) सुअरपना। ० आसानी, सुविधा। (जयो० २३/७५) सौकान्त (वि०) कान्तियुक्त होना। सौकुमार्यम् (वि०) सुकुमारता, कोमलता, मृदुता, सरलता। सौक्ष्यम् (वि.) [सूक्ष्म+ष्यञ्] सूक्ष्मता, महीनता। सौख्यम् (वि०) [सुख ष्यत्र] संतोष, प्रसन्नता, हर्ष, खुशी। आनन्द। मोहादहो पश्यति बाह्यवस्तुन्यङ्गीति सौख्यं गुणमात्मनस्तु (सुद० १११) सौख्यपदम् (नपुं०) सुख स्थान। (समु० ४/२७) सौख्य-संसरणं (नपुं०) सुख पूर्वक परिभ्रमण। (जयो०वृ०२/१२) सौख्यसाधनम् (नपुं०) सुख-सुविधा। (जयो० २/५५) सौगतः (पुं०) [सुगत् अण्] बौद्ध, बुद्धप्रवर्तक। अविकल्पक तोत्साहे सौगतस्येव दर्शने (वीरो० ८/२१) ० बौद्धमत। (जयो०वृ० १८/६०) सौगत (वि०) अच्छी तरह। (जयो०० १८/६०) सौगन्तिकः (पुं०) [सुगत+ठक्] बौद्ध, बौद्ध भिक्षु। सौगन्ध (वि०) [सुगन्ध+अण्] सुगन्धित, सुरभि युक्त। सौगन्धिक (वि०) [सुगन्ध ठन्] सुरभित, सुगन्ध से परिपूर्ण। सुगंधी जानने वाला। (वीरो० २०/८) सौगन्धिकः (पुं०) गन्धक द्रव्य। For Private and Personal Use Only

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