Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 384
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हरिता १२३७ हर्षण - हरिता (स्त्री०) दूर्वा, तृण, घास। (जयो०वृ० १/५८) हरिताङ्करं (नपुं०) हरित, अंकुर, दुर्वा। (जयो०वृ० १/५८) ० तृण, घास (शाड् वल) (जयो०वृ० ३/४७) हरितांशु (नपुं०) हरित अंकुर। (जयो०वृ० २२/४७) हरितोहित (वि०) इन्द्र की तरह कल्याणकारी। ० हरितवर्ण युक्त। हरितो हरिद्वर्ण इत्येवमूहितस्य तर्कितस्येति। (जयो०व० १९/१८) हरिद्विषः (पुं०) कामदेव। (जयो० २८/६८) हरिद्रा (स्त्री०) [हरिद्रु+ड टाप्] हल्दी-हरितो दिशा रातीति हरिद्रा समन्ततः प्रख्यातमती अथ च 'हलदी' इति देशभाषायाम्। (जयो० १५/३४, २७/५३) हरिद्राराग (वि०) हलदी के रंग वाला। हरिद्रावर्णः (पुं०) पीतवर्ण, पीलारंग। हरिनादः (पुं०) सिंहनाद, शेर की दहाड़। (वीरो० ७/२) हरिपीठः (पुं०) सिंहासन। (जयो० २६/९) मंगलपीठ, उत्कृष्ट सिंहासन। हरिपीठगत्-सिंहासनस्थ। (जयो०१० २६/१३) पर्वत इव हरिपीठो प्राणेश्वर-पार्श्व-सङ्गता महिषी। (वीरो० ४/३२) हरिप्रियः (पुं०) कदम्ब तरु। ० शंख। हरिवाहनः (पुं०) गरुड़। ० इन्द्र। हरिविष्ठरः (पुं०) इन्द्र सिंहासन। (वीरो० ७/३) हरिश्चन्द्रः (पुं०) सूर्यवंश का एक राजा। ० धर्मशर्माभ्युदयमहाकाव्य के रचनाकार। हरिषेणः (पुं०) जोणिपाहुड कर्ता एक आचार्य, जो आयुर्वेद काव्य रचयिता है। वृहत्कथाकार (जयो० १७/८९) ० साकेत नगरी के राजा वज्रषेण की रानी शीलवती का पुत्र। (वीरो० ११/२८) हरिसुतः (पुं०) अर्जुन। हरिहयः (पुं०) इन्द्र। सूर्य। हरिहूतिः (पुं०) चक्रवाक पक्षी। हरीतकी (स्त्री०) [हरिं पीतवर्णं फलाद्वारा इता प्राप्ता-हरि+ ___इक्त+कन् ङीष्] हरड़े का वृक्षा हरेणु (स्त्री०) नव यौवना। (जयो० १२/७८) हर्तृ (वि०) [हृ+तृच्] अपहरण करने वाला। (सुद० ९७) ० छीनने वाला, लूटने वाला। हर्तृ (पुं०) चोर। ___० लुटेरा। हर्ता (वि०) विनाशक। (जयो० २३/७६) (मुनि० २५) हर्ति (वि०) अपरहण करने वाला। ० विनाशक। हर्मन् (नपुं०) [ह+मनिन्] जंभाई लेना, मुंह खोलना। हर्मित (भू०क०कृ०) [हर्मन्+इतच्] जंभाई लेने वाला। ० फेंका गया, जलाया गया। हर्म्यम् (नपुं०) [ह+यत् मुट् च] प्रासाद, राजभवन, महल। (जयो० ) ० तंदूर, अंगीठी, चूल्हा। हावलिः (स्त्री०) प्रासादतति। (जयो० १६/६४) हर्ष (वि०) [हृष्+घञ्] आनन्द, (सुद० ९९) खुशी, प्रसन्नता, रोमाञ्च, पुलक। ० उल्लास, आह्लाद, प्रमोद। हर्षक (वि०) [हृष्+णिच्+ण्वुल्] आनंदयुक्त। हर्षकर (वि०) समुद्दीपक, प्रसन्नताप्रदायक। (जयो०वृ० १/६३) तृप्त करने वाला। हर्षजड (वि०) जडवत् हो जाने वाला। हर्षण (वि०) [हृष+णिच्+ल्युट] प्रसन्नता उत्पन्न करने वाला। तृप्त करने वाला। ० मूर्ख। हरिप्रिया (स्त्री०) लक्ष्मी, विष्णुप्रिया। (वीरो० २/१८) ० तुलसी का पौधा, औषधि नाम। (जयो० २१/८६) ० पृथ्वी , भू। हरिभुज् (पुं०) सर्प, सांप। हरिमन्थः (पुं०) मटर, चना। हरिमन्थकः (पुं०) मटर, चना। हरियः (पुं०) [हरि+या+क] पीत अश्व। हरियव्वरसी (स्त्री०) शान्तलादेवी की पुत्री। हरियव्वरसिः पुत्री शान्तलाया जिनास्पदम्। कारयामास द्वादश्यां शताब्दयां विक्रमस्स सा।। (वीरो० १५/४७) हरिरामा (स्त्री०) लक्ष्मी। (जयो० १४) हरिलोचनः (पुं०) केंकड़ा। ० उल्लू। हरिवल्लभा (स्त्री०) लक्ष्मी। तुलसी। हरिवासरः (पुं०) एकादशी। For Private and Personal Use Only

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