Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 367
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्पष्टवक्ता १२२० स्फिट् स्पष्टवक्ता (वि०) शास्ता। (जयो०वृ० १२/२५९) स्पष्टदशासनविद (वि.) यथार्थ शासन को जानने वाला। __(वीरो० २२/४) (जयो०वृ० २०/३०) स्पष्टाभ (वि०) स्पष्टाच्चार शोभित। (जयो० २/१४७) स्पष्टी (वि०) स्पष्ट होने वाला। (हित० १७) स्पृ (सक०) उद्धार करना, मुक्त करना। ० अनुदान देना, अंशदान देना। ० प्रदान करना, ० रक्षा करना। स्पृक्का (स्त्री०) [स्पृश्+कक्] एक जंगली पौधा। स्पृश् (अक०) छूना। ० थपथपाना। ० संपर्क करना, संयोग करना। (सुद० १/२१) ० प्रभावित करना, पसीजना। ० संकेत करना, उल्लेख करना। ० छुपाना। स्पृश् (वि०) छूने वाला, स्पर्शित करने वाला। स्पृष्ट (भू०क०कृ०) [स्पृश्+क्त] छुआ हुआ, स्पर्शित किया हुआ। सम्पर्क में सोया हुआ। स्पृष्टिः (स्त्री०) छूना, संपर्क, स्पर्श। स्मृह् (अक०) कामना करना, इच्छा करना। चाहना। (जयो० ३/६४) स्पृहयति। स्पृहणम् (नपुं०) [स्पृह्+ल्युट्] इच्छा, कामना। स्पृहणीय (वि.) [स्पृह+अनीयर] मन को भाने वाली, अभिलषणीय। (जयो० ६/७१) वांछनीय, चाहने योग्य। ० मनोहर। (जयो० १४/७) स्पृहणीयता (वि०) आदरणीयता। (दयो० ५५) स्पृहदयालु (वि.) [स्पृह-णिच्+आलुच्] उत्सुक, उत्कठित, वाञ्छावती। (जयो०वृ० १०/७५) स्पृहा (स्त्री०) [स्पृह अच्+टाप्] ० इच्छा, वाञ्छा, चाह, अभिलाषा। • लालसा, कामना। स्पृह्य (वि.) [स्पृह णिच् यत्] वांछनीय, चाहने योग्य। स्प्रष् (सक०) आलिंगन करना। (जयो० ) स्फट् (अक०) फूलना, विकसित होना। स्फट: (पुं०) [स्फट्+अच्] सर्प का फैला हुआ फण/फणा। (जयो० १३/४५) स्फटयः देखो ऊपर। स्फटयोत्कट (पुं०) उच्च फण। (जयो० १३/४६) स्फटा (स्त्री०) [स्फट्+टाप्] फिटकरी। स्फटिकः (पुं०) [स्फटि+कै+क] बिलौर, कांचमणि। (जयो० ९/८६) ० स्फटिक मणि। आच्छ पाषाण (जयो० १२/११६) स्फटिकाश्मः (पुं०) स्फटिक मणि। (वीरो० ७/९) स्फटिकारी (स्त्री०) फिटकरी। स्फटिकी देखो ऊपर। स्फटिकोचितः (पुं०) स्फटिक निर्मित। (जयो० १२/११६) स्फण्ट् (सक०) फूलना, विकसित होना। ० मजाक करना, हंसी उड़ाना। स्फरणम् (नपुं०) [स्फर+ल्युट्] कांपना, थरथराना, धड़कना। स्फल् (अक०) कांपना, थरथराना, धड़कना। फड़फड़ाना, छपछपाना। स्फाटिक (वि०) [स्फटिक+अण] कांचमणि मय, बिल्लौरमय। स्फाटिकं (नपुं०) बिल्लौर पत्थर 'जिनालय स्फाटिक सौधदेशे' (वीरो० २/३५) स्फाटित (भू०क०कृ०) [स्फट् णिच्+क्त] फाड़ा हुआ, फूला हुआ, विकसित हुआ। ० विदीर्ण किया हुआ। स्फाति (स्त्री०) [स्फाय+क्तिन्] सूजन, शोथ। ० वृद्धि। स्फाय (अक०) मोटा होना, स्थूल होना। विस्तृत होना, फैलना। ० सूजना, बढ़ना। स्फार (वि०) [स्फाय्रक्] विस्तृत, दीर्ध, फैला हुआ, बढ़ा हुआ। ० अधिक, पुष्कल। ० उच्च, ऊंचा। ० उभार, गिल्टी। ० फुटकी, पपड़ी। स्पन्दन, धड़कन। ० टंकार। स्फारम् (नपुं०) प्रचुरता, आधिक्य। स्फारणम् (नपुं०) [स्फुर+णिच् ल्युट] कंपन, थरथराना। ० स्फुरण। स्फाल् (सक०) खोलना, उद्घाटनय करना। (दयो० ९५) स्फाल: (पुं०) धड़कन, कंपन, थिरकन हिंडन। स्फालनम् (नपुं०) [स्फाल्+ल्युट्] स्पन्दन, धड़कन। ० घिसना, फाड़ना। ० सहलाना, थपथपाना। ० आश्वासन, हाथ फेरना। (जयो० २१/१९) स्फिचर (स्त्री०) [स्फाय+डिच्] चूतड़, कूल्हा। स्फिट् (अक०) चोट पहुंचाना, मार डालना। क्षति ग्रस्त करना। ० ढकना। For Private and Personal Use Only

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