Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

Previous | Next

Page 372
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्योन १२२५ स्योन (वि०) सुंदर, सुखद। ० शुभ, कल्याणकारी। स्योनः (पुं०) सूर्य। ० आभा। स्योनम् (नपुं०) थैला, बोरा। संस् (अक०) गिरना, रिसना, झरना, बहना। ० लटकना, खिसकना। शिथिल होना। स्रंसः (पुं०) [संस्+घञ्] गिरना, खिसकना। स्त्रसनम (नपं० [स्रंस णिच+ल्यट] गिरना. झडना. खिसकना। संसिन् (वि०) [संस्+णिनि] गिरने वाला, खिसकने वाला, लटकने वाला। स्त्रक्करी (स्त्री०) मालाकारिणी, मालिन। (जयो० १०/१११) स्रग्विन् (वि०) [स्रज्+विनि] माला युक्त, हारधारण किए स्रज् (स्त्री०) [सृज्यते-सृज्+क्विन्] माला, हार, पुष्पहार। (सुद०) स्त्रज्दामन् (नपुं०) माला की गांठ। स्रधर (वि०) हार धारण करने वाला। स्रपुष्पम् (नपुं०) माला के फूल। स्रज्युक्त (वि०) हार सहित, माला युक्त। स्त्रजाक्षरम् (नपुं०) अक्षरमाला। (जयो० २०/७२) स्रज्चा (स्त्री०) [सृज् वा] रस्सी, डोरी, धागा। स्वधू (स्त्री०) अपान वायू सूत्र। सम्भ् (अक०) [स्रु+अप्] बहना, रिसना, चूना, टपकना। बिंदु, प्रवाह। ० फुहार, झरना। स्रवणम् (नपुं०) [उ ल्युट्] ० बहना, चूना, रिसना। ० पसीना, ० मूत्र। ० झरना, गिरना-स्रोतो विमुच्य स्रवणं स्तनान्ताद्। (वीरो० १२/३०) स्रवत् (वि०) [+शत] बहने वाला, रिसने वाला, टपकने वाला। स्त्रवता (स्त्री०) [स्रवत्+ङीप्] प्रसरता। (जयो० २३/१३) स्रवन्ती (स्त्री०) नदी, सरिता। बहुधावलिधारणी स्रवन्तीं नितरां नीरदभावमाश्रयन्तीम्। (जयो० २०/२) स्रष्टु (पुं०) [सृज्+तृच्] बनाने वाला, रचने वाला, ब्रह्मा। त्रस्त (भू०क०कृ०) [संस्+क्त] गिरा हुआ, खिसका हुआ, नीचे आया हुआ। ० च्युत, पतित, लम्बित। स्त्रस्तरः (पुं०) [स्रस्+तरच्] पलंग, शय्या, आसन, बिछौना। स्राक् (अव्य०) [स्रुक+ढाक्] फुर्ती से, तेजी से, शीघ्र से। (जयो० ३/६८) सहालिभिः पार्श्वमुपागमि प्राक् ततः शनैस्तेन तयैकया स्राक्। (जयो० १७/६) स्राक्-शीघ्रमेव स्रागालिलिङ्ग (वि०) गले से आलिङ्गित। (जयो० २०/१५) स्रावः (पुं०) [नु+घञ्] प्रवाह, झरना, निर्झर। ०रिसना, टपकनी। स्रावक (वि०) [स्नु+ण्वुल] बहाने वाला, गिराने वाला। स्राविणी (वि०) देने वाली। (दयो० ५३) त्रिभू (अक०) चोट पहुंचाना, मार डालना। स्त्रिम्भ देखो ऊपर। स्त्रिव (अक०) सूख जाना, म्लान होना, मुाना। त्रु (अक०) बहना, झरना, रिसना, टपकना। (सुद० ४/१०) ० चूना, छीनना, नष्ट होना। ० इधर-उधर होना, उड़ेलना, डालना, बखेरना। त्रुघ्नः (पुं०) एक जनपद। त्रुघ्नी (स्त्री०) [स्रघ्न+अच्+ङीष्] सज्जी, देह। स्रुच् (स्त्री०) [मु+क्विप् चिट् आगम] लकड़ी का चमचा। घुत् (वि०) [स्रु+क्विप्] बहने वाला, गिरने वाला, उडेलने वाला। स्रुतिः (स्त्री०) [स्रुक्तिन्] बहना, रिसना टपकना, झरना, चूना। ० राल, ० धारा, प्रवाह। (जयो० ९१/९) स्वः (पुं०) चमचा, लकड़ी का चमचा। ० झरना, निर्झर। स्रेक (अक०) गतिशील होना। (अक०) उबालना, पकाना। स्रोतम् (नपुं०) धारा, प्रवाह, निर्झर झरना। (वीरो० १२/३०) स्त्रोतो विमुच्य स्रवणं स्तनान्ताद् यूनामिदानीं सरसीति कान्ता। (वीरो० १२/३०) स्रोतस् (नपुं०) [त्रु तसि] सरिता, नदी, धारा, निर्झर, झरना, प्रवाह। ० लहर। स्रोतस्वः (पुं०) शिव, ० चोर। स्रोतस्वती (स्त्री०) नदी, सरिता। स्रोतस्विनी (स्त्री०) [स्रोतस+मतुप-विनि] (दयो० २३) सरिता, नदी। स्व (वि.) [स्वन्+ड] अपना, निजी। (सुद० ४/७) तस्मिन् पर: स्व आत्माः यस्य। (जयो० १/९८) For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445