Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 347
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रसंश्रयः १२०० सूर्यः सूत्रसंश्रयः (पुं०) श्रुत का विनयपूर्वक पठन। ०श्रुताधार। सूत्रसारः (पुं०) आगम सूत्र का सार। (वीरो० १/२४) ० श्रुत रहस्य। सूत्रार्थः (पुं०) तत्त्वार्थसूत्र नामक शास्त्र। (जयो० ६/५) सूत्रिका (स्त्री०) [सूत्र+ण्वुल्+टाप् इत्वम्] सेंवई, सीमी। सूत्रित (भू०क०कृ०) [सूत्र+क्त] क्रमबद्ध, क्रमानुसार, पद्धतियुक्त। सूत्रिन् (वि.) [सूत्र+इनि] धागों वाला। सूद् (सक०) ० प्रहार करना, घायल करना। ० नष्ट करना, उड़ेलना। (जयो० २/२३) ० उकसाना, उत्तेजित करना। सूदः (पुं०) [सूद्+घञ् अच् वा] जनसंहार, विनाश, प्रतिघात। ० रसोइया, ० रसा, झोल। ० कीचड़, दलदल। ० पाप, दोष। सूद्घोष (वि०) सभी ओर घोषणा युक्त। (वीरो० १३/१०) सूदन (वि०) नाश करने वाला, विनाशक। सूदनम् (नपुं०) नष्ट करना, विनाश करना, संहार, प्रहार, घात। सून (भू०क०कृ०) [सू+क्त, क्तस्य नः] ० उत्पन्न, प्रसूत, उत्पन्न हुआ। ० प्रफुल्लित, मुकुलित। • रिक्त, खाली। सूनरी (स्त्री०) सुंदर स्त्री। सूनवती (स्त्री०) गर्भवती। (जयो० १३/५२) सूना (स्त्री०) [सुञः नः दीर्घश्च] बूचड़खाना, कत्लखाना। ० मारना, विनाश करना। ० वध करना। ० पुत्री। सूनिन् (पुं०) [सूना+इनि] कसाई, शिकारी, शृंगाल। सूनुः (पुं०) [सू+नुक्] पुत्र। ० शिशु। (दयो० ३०) ० पोता, दोहित्र। ० मदारपादप। ० सूर्य। सूनू (स्त्री०) [सूनु+ऊ] पुत्री। सूनृत (वि०) ० सुखद, ० कृपालु, ० निष्कपट। ० सुशील, सज्जन, शिष्ट। ० शुभ, सौभाग्यसूचक। ० प्रियतम, प्यारा, स्नेही। सूनृतम् (नपुं०) सत्य भाषण, सत्यवचन। ० प्रिय एवं सत्य। सत्यं प्रिय हितं चाहुः सुनृतं सुनृतव्रताः (अन धर्म० ४/४२) सपः (पुं०) [सुखेन पीयते स+पा+घञर्थे क] ० व्यञ्जन। (जयो० ७/८५) यूष, रस। ० रसोइया, चटनी। ० खाद्य। (जयो० ७/८५) ० पेय पदार्थ। ० कड़ाही, बर्तन। सूपकल्पित (वि०) सुष्ठुप्रकल्पित, सुपाख्यव्यञ्जता। (जयो० ६/१२१) सूपकारः (पुं०) रसोइया, रसवतीकर। (वीरो० २२/३४) सूपं व्यञ्जनं करोतीति सूपकारकः। सूपकारकः देखो ऊपर। सूपकारक (वि०) श्रेष्ठ उपकार-सुष्टु उपकारको मनसा सहायकरः। (जयो०७० ७/८५) सूपकारिणी (स्त्री०) रसोइन। (दयो० १/१) ० रसाई बनाने वाली। सूपधूपनम् (नपुं०) हींग। सूपमता (स्त्री०) दाल का संयोग। (दयो० ३/६२) सूपसंयोगः (पुं०) दालिकाख्य, सूपमता। (जयो० ३/६२) सूमः (पुं०) जल, पानी। ० दूध, आकाश। सूर (सक०) चोट पहुंचाना, मार डालना, वध करना। सूरः (पुं०) सूर्य, दिनकर, रवि। ० मदार पादप। ० सोम, ० बुद्धिमान। ० नायक, ० नृप। सूरणः (पुं०) [सूर+ल्युट्] सूरन, जमीकंद। सूरत (वि.) [सु+रम्+क्त] दयालु, कृपालु। ० मृदु, कोमल। ___० शान्त, धीर। सूरिः (पुं०) ० सूर्य। ० प्रज्ञावान्। ० आचार्य। प्रव्रज्यादायकः सूरिः संयतानां निगीर्यते। (योगसारप्र० २/९) सूरिन् (वि०) बुद्धिमान्, प्रज्ञावंत। सूरिन् (पुं०) पण्डित, विज्ञ। सूरी (स्त्री०) कुंती। सूक्षु (अक०) आदर करना, सम्मान करना। सूर्यः (पुं०) [सरति आकाशे सूर्यः, यद्वा सुवति कर्मणि लोकं प्रेरयति] [ सृ+क्यप्] दिनकर, रवि, सूरज। (सुद० १२५) (सम्य०७२) (दयो० १८) For Private and Personal Use Only

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