Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 295
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समर्थनार्थ ११४८ समस्तं निर्णय करना। ऊर्जा, बल, शक्ति। समर्थनार्थ (वि०) पूजनार्थ। (जयो०वृ० २७/२२) समर्थिन् (वि०) समर्थक, पक्ष वाला। (जयो० २६/७९) समर्थित (वि०) कार्यों वाली। (समु०३/२०) प्रशासित (जयो०७० १९/३८) समर्थनक्रिया (वीरो० १/२) स्तुत (जयो० ५/५६) समर्धक (वि०) [सम्+रुध्+ण्वुल्] वर प्रदाता, वरदान देने वाला। समर्प (सक०) देना, सौंपना। समपयिष्टति (जयो० ११/३८) समर्पणम् (नपुं०) सौंपना, देना, हस्तान्तरण करना। समर्पित (वि०) प्रदत्त, दी गई, पकड़ा दिया। (दयो० १८) (समु० ७/११) (सुद० ११५) समर्पितदृष्टिः (स्त्री०) निक्षिप्तदृष्टि। (जयो० ५/१९) समर्पक (वि०) समर्पण। (जयो००० १२/५४)। समर्याद (वि.) [सह+मर्यादया] सीमित, बंधा हुआ। निकटवर्ती, समीपवर्ती। शिष्ट। समल (वि०) [मलेन सह] मैला, गन्दा। समर्हण (वि०) मान्य। (जयो०१२/७३) समर्हित (वि०) श्लाघनीय। (जयो० २०/३२) समवकृप (सक०) लेना, ग्रहण करना। (जयो० ५/५०) समयस्क (वि०) समान वय वाहक, मित्र। (वीरो० ६/१२) समवयस्कता (वि०) समान अवस्था वाला। (दयो० ७०) समशिष्ट (वि०) शेष, अवशेष। (जयो०१० ११/४३) मलिम, दूषित। ०अपवित्र। समलक (सक०) सुशोभित करना। (वीरो०६/२३. जयो० १०/११९) समलं (नपुं०) पुरीष, मल, विष्ठा। समलि (वि.) अली सदृश, भ्रमर सदृश। (जयो० ७/१०३) समवकारः (पुं०) [सम्+अच्+कृ+घञ्] नाटक का भेद। समवतारः (पुं० [सम्+अव्+तृ+घञ्] ०उतार, समलम्बित (वि०) बंधा हुआ। आबद्ध। (दयो०६३) समवभास् (अक०) प्रतीत होना। (दयो० ४) समवस्था (स्त्री०) [समा तुल्या अवस्था वा सम्+अवस्था+क्त+ अङ्कटाप्] निश्चित अवस्था, सदृश अवस्था, समान स्थिति। समवसरणं (नपुं०) अहंदुषाश्रय, अर्हत् सभा मण्डप। (जयो० २६/५७) अरहंत की दिव्य देशना का स्थल। समवस्थित (भू०क०कृ०) [सम्+अवस्था +क्त] स्थिर रहता हुआ, दृढ़भूत। समवाततित् (नपुं०) फैलाया। ('वीरो० १५/५४) समवादः (पुं०) समाचार, संदेश। (जयो०१० २१/३) समवाप्तिः (स्त्री०) [सम्+अव+आप+क्तिन्] प्राप्ति, अभिग्रहण। समवाय (पुं०) [सम्+अव+इ+अच] ०सम्बन्ध, मिश्रण, मिलाप। ०संयोग, समष्टि, संयुक्त (सुद० १/४२) प्राप्त। (सुद० ३/३२) ०संख्या, समूह, समुच्चय। अविच्छिन्न संयोग। ० परस्पर सम्मेल। (वीरो० १/१३) अभेद्य सम्बंध। ०वैशेषिक द्वारा मान्य एक पदार्थ। समवायहेतु (पुं०) परस्पर सम्मेल का कारण (वीरो० १/१३) समवायसम्बन्धः (पुं०) वैशेषिक मान्यता। (जयो० २६/८२) समवायिन् (वि०) [समवाय इनि] बुद्धिमन्त। (जयो०१२/१२५) ०प्रगाढ़ सम्बन्ध युक्त, दृढ़ संबद्धता। समवेत (भू०क०कृ०) [सम्+अव+इ+क्त] सम्मिलित, एकत्रित, मिले हुए, जुड़े हुए। ०अन्तर्भूत, संयुक्त। समाविष्ट। ०इकठे। (जयो० १३/४५) समवेत्य (सं०कृ०) [सम्+अव+इयत्] देखकर, अवलोकन कर। स्त्रियां यदङ्गं समवेत्य गूढमानन्दितः सम्भवतीह मूढः। (सुद० १०२) समश्वन् (वि०) आस्वादन। (जयो० २७/१४) समष्टिः (स्त्री०) [सम्+अश्+क्तिन्] संग्रह। (वीरो० १७/२१) (सम्य० १४) समुच्चयात्मक व्याप्ति, पूर्णता। समष्टिकर्ता (वि०) संग्रहकर्ता। (वीरो० १७/२१) समस् (अक०) विचारना, सोचना। समस्यते (जयो० ९/७५) समसनम् (नपुं०) [सम्+अस्+ल्युट्] सम्मिश्रण, संयुक्त करना, मिलाना। ०समास युक्त करना। समस्या (वि०) निजीर्ण करने वाला। (सुद० ११९) विषय (जयो० १/४२) समस्तं (भू०क०कृ०) [सम्+अस्+क्त] ०पूर्ण, पूरा, सम्पूर्ण, भरा हुआ। संक्षिप्तिकरण. संकुचित। . For Private and Personal Use Only

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