Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

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Page 11
________________ प्राचीन चरित्रकोश सुविधा के लिए सर्वत्र अनुस्वार का प्रयोग किया गया है (१०) एक ही नाम के अनेक व्यक्तियों को उनके (उदा. 'अंग', 'विभांडक')। कालक्रम के अनुसार २,३,४ अंकों के साथ प्रस्तुत किया य, र, ल, व, श, ष, स- इनके पहले आनेवाले | गया है। अनुस्वार, तथा श, ष, स, ह इन अक्षरों के पूर्व में (११) जानकारी एवं विवरण की पुनरावृत्ति से बचने आनेवाले विसगयुक्त शब्द, हर एक वर्ण के पहले | के लिए अथवा परस्परसंबंध एवं साम्यता दिखाने के अनुस्वार एवं विसर्ग, इस क्रम से दिये गये हैं। 'क्ष' का | लिए 'विशिष्ट शब्द देखिये ऐसा निर्देश कोष्ठकों में किया अंतर्भाव 'क' वर्ण में, एवं ज्ञ का अंतर्भाव 'ज' वर्ण में | गया है। किया गया है। (१२) 'पुत्र' इस शब्द का प्रयोग 'उत्तराधिकारी' (६) व्यक्तिनामों के मूलशब्द चरित्र के प्रारंभ में | | के रूप में किया गया है। मातृक एवं पैतृक ये विशेषण किया गया मोटे अक्षरों में दिये हैं, एवं उनके पाठभेद भी वहाँ | नाम की व्युत्पत्ति के अनुसार प्रयुक्त किये गये हैं। किंतु कोष्ठक में दिये गये हैं। पाटभेद जब एक से अधिक संख्या में प्राप्त है, वहाँ उनका स्वतंत्र निर्देश भी चरित्र के सर्व- | सकती है। प्रथम परिच्छेद में दिया गया है। (१३) जातिसमूह एवं व्यक्ति के नाम जहाँ एक(७) व्यक्तिनामों के बाद कोष्ठक में दिये गये 'सो. सरीखे हों, वहाँ दोंनों की जानकारी स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत कुरु,' 'सो. पूरु' जैसे 'संकेत' वंश से संबंधित है, की गयी है। जिनका सविस्तृत स्पष्टीकरण एवं संदर्भ अंत में दिये गये | परिशिष्ट ४ एवं ५ (पृष्ठ ११३९-११६५) में प्राप्त हैं। (१४) प्रायः सभी व्यक्तिचरित्र उनके मूल संस्कृत (८) इस कोश में चरित्रों की जानकारी प्रायः माता नाम से प्रस्तुत किये गये हैं, किंतु व्यक्तियों के मूल पिता, जन्म, शिक्षा, विवाह, कार्य, वैशिष्टय, परिवार, । संस्कृत नाम जहाँ अनुपलब्ध हैं, वहाँ उनके उपलब्ध नाम ग्रंथपरिचय, वंशावलि, गोत्रकार आदि के क्रम से दी गयी से ही जानकारी प्रस्तुत की गयी है । उदाहरण में निम्न है। संबंधित प्राचीन साहित्य में प्राप्त संदर्भ वहीं के लिखित नामों का निर्देश किया जा सकता है:-अहीना • वहीं निर्दिष्ट किये गये हैं। आश्वत्थ्य, तोंडमान, बम्बाविश्वावयस् आदि । (९) इस ग्रंथ के चरित्र, सर्वप्रथम वैदिक सामग्री. एवं (१५) इस ग्रंथ के लिए प्रयुक्त आधारग्रंथ, उनके - बाद में पौराणिक साहित्य में प्राप्त सामग्री पर आधारित | संस्करण, एवं उनके लिए कोश में प्रयुक्त किये गये संकेत प्रस्तुत किये गये हैं। इस प्रकार चरित्रों में प्राप्त विवरण | ग्रंथ के आरंभ में दिये गये हैं। ऋग्वेदसंहिता, अन्य वैदिकसंहिता, उपनिषद, सूत्र, वेदांग, | (१६) ग्रंथ के अंत में व्यक्तिसूचि एवं विषयसूचि दी - वायु, ब्रह्मांड आदि प्राचीनतर पुराण, एवं पद्म, स्कंद गयी है, जिस में प्रमुख व्यक्तियों एवं विषयों की आदि उत्तरकालीन पुराण इस क्रम से दिये गये हैं। जानकारी संकलित की गयी है । आधार ग्रंथ, उनके लिए प्रयुक्त संकेत एवं संस्करण संस्करण संपूर्ण नाम आदिपुराण आपस्तंवधर्मसूत्र संकेत संपूर्ण नांव अग्नि. अग्निपुराण अध्या. रा. अध्यात्मरामायण अ. प्रा. अथर्वप्रतिशाख्य अ. रा. अद्भुतरामायण ( उत्तर कांड) म. वे. अथर्ववेद संस्करण - संकेत आनंदाश्रम, पूना . आदि. गोरखपुर | आप. ध. हिटनेप्रत मोदवृत्त प्रेस, आवृत्ति | आप.श्री. तीसरी -आ. रा. --सार. श्रीवेंकटेश्वर प्रेस विद्यामुद्राक्षरशाला कुंभकोणम् क्रिष्टल संस्करण आ.ध. आपस्तंबश्रौतसूत्र आनंदरामायण १-सारकांड

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